Income Tax: देश में दो तरह की टैक्स व्यवस्थाओं के जरिए टैक्स दाखिल किया जा रहा है. इनमें एक है नई टैक्स व्यवस्था और दूसरी है पुरानी टैक्स व्यवस्था. हालांकि अगर कोई टैक्सपेयर नई और पुरानी दोनों तरह की ही टैक्स व्यवस्थाओं को नहीं चुन पाता है तो ऐसी स्थिति में क्या होगा? इसको लेकर अब सरकारी विभाग की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है.
इनकम टैक्स
अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नई कर व्यवस्था के संबंध में एक नई अधिसूचना जारी की है. इसमें बताया गया है कि अगर कोई कर्मचारी नई और पुरानी कर व्यवस्था के बीच चयन करने में विफल रहता है, तो नियोक्ता नई आयकर व्यवस्था को डिफॉल्ट के रूप में लेगा और इसके तहत स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) घटाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार नई कर व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2023-24 से डिफॉल्ट होगी. इसी के तहत सीबीडीटी ने टीडीएस कटौती को लेकर सर्कुलर जारी किया है.इनकम टैक्स रिजीम
अधिसूचना में कहा गया है, “यदि कर्मचारी के जरिए सूचना नहीं दी जाती है, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी डिफॉल्ट कर व्यवस्था में बना हुआ है और उसने नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है. ऐसे मामले में नियोक्ता अधिनियम की धारा 115BAC की उप-धारा (lA) के तहत प्रदान की गई दरों के अनुसार अधिनियम की धारा 192 के तहत आय पर स्रोत पर टैक्स की कटौती करेगा.”
टैक्स
यह नियोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह कर्मचारी से इच्छित कर व्यवस्था के बारे में जानकारी मांगे और जानकारी प्राप्त करने के बाद उसके अनुसार टैक्स काट ले. ऐसे में आइए जानते हैं नई और पुरानी कर व्यवस्था के बीच अंतर…
नई कर व्यवस्था
नई कर व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है. धारा 87A के तहत छूट की राशि को 7 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम तक बढ़ा दिया गया है. सिस्टम में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी पेश किया गया है. वेतनभोगी कर्मचारी और पेंशनभोगी नई आयकर व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का विकल्प चुन सकते हैं.
पुरानी कर व्यवस्था
जो लोग पुरानी आयकर व्यवस्था को जारी रखना चाहते हैं, उन्हें धारा 80सी जैसी छूट मिलेगी, जो कर योग्य आय को 1.5 लाख रुपये तक कम कर सकती है. टैक्स स्लैब और बुनियादी छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पुरानी कर व्यवस्था ऋण और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर भी कटौती की पेशकश करती है. जो लोग पुरानी कर व्यवस्था को चुनना चाहते हैं, उन्हें प्रत्येक वर्ष इसे बताना होगा.