Kaal Sarp Dosh: ज्योतिष में कालसर्प दोष को बहुत ज्यादा अशुभ और दिक्कत पहुंचाने वाला माना गया है. ज्योतिष के अनुसार जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसके जीवन में अक्सर कोई न कोई परेशानी हमेशा बनी रहती है. ऐसे जातक के अक्सर काम में कई तरह की बाधाएं आती हैं या फिर कहें बनते काम भी बिगड़ जाया करते हैं। ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में स्थित कालसर्प दोष का निर्माण राहु और केतु मिलकर करते हैं. इन दोनों छाया ग्रह के कारण अक्सर उसके महत्वपूर्ण और मांगलिक कार्य में बाधाएं आती हैं और उसे तमाम कोशिशों के बाद भी शुभ फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है.
इन्हें भी पढ़ें : Astrology News : हर काम में सफलता पाएं,शनिवार को उड़द से बनी चीजें खाएं, फिर देखें कमाल
इन दोनों ग्रहों के कारण होने वाले दोष के चलते जीवन में तमाम तरह के व्यवधान आने लगते हैं. जिस कालसर्प दोष के कारण अक्सर जिंदगी में तमाम बाधाएं आती हैं, उसे दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं.
Kaal Sarp Dosh: क्या होता है कालसर्प दोष ?
मान्यता के अनुसार जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो इसे काल सर्प दोष माना जाता है. अब सवाल खड़ा होता है कि इस दोष का योग बनता कब है? दरअसल, राहु और केतु ग्रह के अलावा अन्य सात ग्रह जब एक तरफ हो जाते हैं और दूसरी ओर कोई अन्य ग्रह नहीं होता है, तो इस स्थिति को कालसर्प योग कहते हैं.
Kaal Sarp Dosh: कालसर्प दोष से बचने के उपाय
- हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा कालसर्प दोष के बुरे प्रभावों से बचाती है. गणपति के साथ मां सरस्वती की साधना से भी कालसर्प दोष से जुड़े कष्ट दूर होते हैं.
- मान्यता है कि देवों के देव महादेव की पूजा करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो प्रतिदिन पूजा करते समय रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें.
- काल सर्प दोष दूर करने के लिए दान-दक्षिणा करना भी शुभ माना जाता है. बुधवार के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काले कपड़े या मूंग की दाल दान करें. मान्यता है कि इस उपाय को करते ही व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं.
- कालसर्प दोष के कारण अक्सर कामकाज में बाधाएं आती रहती हैं तो किसी शिवालय में जाकर शिवलिंग पर तांबे का एक बड़ा सर्प बनवाकर चढ़ाएं. लेकिन, ध्यान रखें कि सर्प को प्राण प्रतिष्ठित करके ही शिवलिंग पर चढ़ाएं.