देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में बुधवार को दोबारा सुनवाई हुई. इस संबंध में दायर 20 याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को सुनवाई शुरू की थी, जो बुधवार को भी जारी है.
इस संविधान पीठ में CJI चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं, जिनके सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार का, तो वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा.
‘कोर्ट को समाज से कहना होगा कि इस कलंक को दूर कीजिए’
समलैंगिक विवाह को कानून मान्यता देने की मांग पर याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्त मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘अगर भारत को आगे बढ़ना है तो इस कोर्ट को पहल करनी होगी. कोर्ट को समाज से कहना होगा कि इस कलंक को दूर कीजिए. इस हठधर्मिता को दूर कीजिए, क्योंकि इस कोर्ट को नैतिक विश्वास प्राप्त है.’
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी कानून नेतृत्व करता है, लेकिन कभी-कभी समाज नेतृत्व करता है. यह अदालत मौलिक अधिकार की अंतिम रक्षक है. सुधार भी एक सतत प्रक्रिया है. कोई भी पूर्ण और समान नागरिकता से इनकार नहीं कर सकता है, जो बिना विवाह, परिवार के होगी.’