गुजरात दंगों (gujarat ) के दौरान हुए नरोदा कांड(naroda kaand ) के सभी 86 आरोपियों को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया। घटना के 21 साल बाद गुरुवार को सुनाए फैसले में कोर्ट ने कहा- आरोपियों का दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। पीड़ित पक्ष के वकील(lawyer 0 शमशाद पठान ने कहा- हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
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बता दे 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के पास नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस केस में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत 86 लोगों के खिलाफ केस(case file ) दर्ज हुआ था। इनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है।
गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी को नरोदा गांव में बंद का ऐलान
गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी को नरोदा गांव में बंद का ऐलान किया गया था। इसी दौरान सुबह करीब 9 बजे लोगों की भीड़ बाजार बंद कराने लगी, तभी हिंसा भड़क उठी। भीड़ में शामिल लोगों ने पथराव के साथ आगजनी, तोड़फोड़ शुरू कर दी। देखते ही देखते 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।इसके बाद पाटिया में भी दंगे फैल गए। यहां भी बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। इन दोनों इलाकों में 97 लोगों की हत्याएं की गई थीं। इस नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे। इस मामले में SIT ने तत्कालीन भाजपा विधायक माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था। हालांकि इस मामले में वे बरी हो चुकी हैं।