गरियाबंद. रमजान माह में छोटी उम्र के बच्चों में भी रोजे रखने का उत्साह देखा जा रहा है। चिलचिलाती धूप व तेज गर्मी के बाद भी बच्चे रोजे रखने में पीछे नहीं रह रहे हैं।इस्लाम समुदाय का सबसे पवित्र महीना माना जाने वाला रमजान का महीना चल रहा है. इस महीने को बरकत इबादत का महीना भी कहा जाता है. रमजान के महीने में हर कोई अल्लाह की इबादत करने के लिए रोजा रखते है और नमाज पढ़कर अल्लाह के प्रति अपनी भावना पेश करते है.जहां आज के आधुनिक दौर में बच्चे अपने आप को ठीक से संभाल तक नहीं पाते यही नहीं बच्चे क्या बड़े-बड़े व्यक्ति भी रमजान के महीने में भूखे नहीं रह सकते ऐसे में गरियाबंद शहर के मस्जिद चौक की रहने वाली एक नन्ही सी बालिका अलफ़ीज़ा ढेबर ने रोजा रख कर अपनी उम्र से बड़े लोगों को एक पैगाम दिया है.
मासूम अलफ़ीज़ा कलेक्टर बनना चाहती है
शहर की रहने वाली 06 वर्षीय अलफ़ीज़ा ने अपना पहला रोजा रखकर अल्लाह के प्रति अपनी इबादत की मिसाल पेश की है. जब अलफ़ीज़ा के परिवार वालों ने रमजान के महीने में अपना पहला रोजा रखने का कारण पूछा तो अलफ़ीज़ा ने बताया कि मैं बड़ी होकर कलेक्टर बनना चाहती हूं. इसलिए मैं अल्लाह की इबादत कर अपनी एक ख्वाहिश पूरी करना चाहती है. इसलिए मैंने अल्लाह की इबादत की और रोजा रखा है.
गरियाबंद शहर के मस्जिद चौक स्थित गोल बजार के पास रहने वाली 06 वर्षीय बालिका अलफ़ीज़ा की मां वालिदा कहती है कि रमजान शुरू हुआ. तब से ही मैं रोजा रखते हुए आ रही हूं. अलफ़ीज़ा मुझे अक्सर रोजा रखते हुए देखती है ऐसे में एक दिन उसने मुझसे पूछा कि रोजा क्यों रखा जाता है तो मैंने जवाब में कहा कि रमजान के महीने में एक बार बात करने के लिए रोजा रखा जाता है और रोजा रखने से अल्लाह से इबादत करते और उन्हें राज़ी करते है. और हमारी मन्नते पूरी हो जाती है. तो मुझसे मेरी बेटी अलफ़ीज़ा ने जिद की, कि मैं भी रोजा रखूंगी और बाद में इसने सुबह सहरी करी और बाद में पूरे दिन इसने रोजा मुकम्मल कर लिया.
पहले तो हम सब हैरान हो गए बाद में हमने अलफ़ीज़ा पूछा कि आपने रोजा क्यों रखा है तो जवाब में उसने कहा कि मैं बड़े होकर कलेक्टर बनना चाहती हूं और सभी धर्म और संप्रदाय के लोग मिलजुल कर आपस में भाई चारे के साथ रहे इसलिए मैंने अल्लाह की इबादत करने के लिए और मेरी ख्वाइश पूरी करने के लिए रोजा रखा है. अलफ़ीज़ा के दिल में धर्म और अपने सपनों के प्रति इस प्रकार का जज्बा देखकर हम पूरे परिवार के लोग तहे दिल से काफी खुश है. हम यही कोशिश करेंगे कि अलफ़ीज़ा अच्छा पढा लिखा कर आने वाले समय में वो अपना भविष्य बना सके वहीं दूसरी तरफ अलफ़ीज़ा के पापा कांग्रेश कमेटी के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष आबिद ढेबर कहते है कि आज के वर्तमान दौर में जहां बच्चे अपने आप को संभाल तक नहीं पाते इस उम्र के बच्चें खाने-पीने और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं लेकिन मेरे छह वर्षीयबिटिया अलफ़ीज़ा ने 27वे रोजे के दिन आज रोज़ा रखने की ज़िद पकड़ ली मैं थोड़ा सा डर भी गया पर मेरे बच्ची की ज़िद ने रोजा रखकर नसीहत पेश की है. यही नहीं तेज गर्मी और 40 डिग्री तापमन पर बड़े-बड़े से रमजान के महीने में रोजा नहीं हो पाता है. ऐसे में मेरी बेटी ने अल्लाह के प्रति इबादत करते हुए रोजा रखा है तो इस बात से मुझे बहुत खुशी है.मैं यही दुआ करूँगा अल्लाह उसको अच्छी सेहत दे और उसके सारे सपने पूरे करे