अगर आप एक वेतनभोगी है तो आपकी कंपनी या नियोक्ता ने आपको भी नई या पुरानी कर व्यवस्था ( New and Old Tax Regime) के तहत किसी एक का चुनाव करने के लिए बोला होगा। ऐसे में अगर आप भी बाकी लोगों की तरह जोड़-घटाव में लग गए हैं कि दोनों में से कौन-सी व्यवस्था आपका ज्यादा टैक्स बचा सकती है, लेकिन हल मिलने के बजाय कन्फ्यूज हो गए हैं तो फिक्र करने की जरूरत नहीं है.
आज हम आपको कर व्यवस्था (Tax Regime 2023) से जुड़ी ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आपका कन्फ्यूजन दूर हो जाएगा और आप सही निर्णय ले सकेंगे।
क्या है Old और New Tax Regime में अंतर
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि पुरानी कर व्यवस्था नई व्यवस्था से किस तरह से अलग है। इसमें सबसे बड़ा अंतर टैक्स स्लैब का है.
नया टैक्स स्लैब
- 0-3 लाख रुपये तक की सालाना आय- 0%
- 3-6 लाख रुपये तक की सालाना आय- 5%
- 6-9 लाख रुपये तक की सालाना आय- 10%
- 9-12 लाख रुपये तक की सालाना आय- 15%
- 12-15 लाख रुपये तक की सालाना आय- 20%
- 15 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय- 30%
पुराना टैक्स स्लैब
- 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय- 0%
- 2.5 -5 लाख रुपये तक की सालाना आय- 5%
- 5-10 लाख रुपये तक की सालाना आय- 20%
- 10 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय- 30%
इस तरह से देखें तो जिन करदाताओं की आय 15 लाख से कम है, उनके लिए नई कर व्यवस्था में चले जाना फायदेमंद है।
किसमें मिलेगी ज्यादा छूट
अगर आप एक ऐसे करदाता हो, जिसने कई तरह के निवेश कर रखें हैं, तो आपको बता दें कि नई कर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कोई छूट नहीं है। करदाता सिर्फ मानक छूट (Standard Deduction) के तहत 50,000 तक का लाभ ले सकते हैं।
दूसरी तरफ, पुरानी कर व्यवस्था के तहत करदाता अब भी 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक की छूट का फायदा उठा सकते हैं।