रायपुर न्यूज़। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर की टीम राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने दिनांक 30 मार्च 2023 को माननीय प्रधानमंत्री के मन की बात की 100वीं कड़ी में भाग लेने के लिए ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया। सत्र का संचालन डॉ. गोवर्धन भट्ट, प्रभारी , एनएसएस के मार्गदर्शन में किया गया ।
पीएम मोदी ने “मन की बात” की यात्रा के बारे में बताया और 3 अक्टूबर 2014 को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक विजयादशमी के अवसर पर इसकी शुरुआत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आगे कहा कि कैसे “मन की बात” हमारे त्योहारों का एक हिस्सा बन गया है जिसमें हम सकारात्मकता और लोगों की भागीदारी का जश्न मनाते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने गुरु लक्ष्मण रावजी की बात की, जिन्होंने उन्हें दूसरों के अच्छे गुणों की पूजा करने और उन्हें आत्मसात करने की सलाह दी। उन्होंने “मन की बात” में ‘मैं’ से ‘हम’ तक की यात्रा का वर्णन क्रिया।
इस दौरान, प्रधान मंत्री ने विभिन्न नायकों के प्रयासों पर प्रकाश डाला जिन्होंने समाज के विकास और सामाजिक उत्थान के लिए काम किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने सुनील जगलांजी का उल्लेख किया, जिन्होंने बेटियों को आगे लाने के लिए ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान शुरू किया, और जिन्होंने ‘महिला अधिकारिता’ और ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ जैसे सामाजिक अभियानों को बढ़ावा देने का काम किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के देउर गांव के महिला स्वयं सहायता समूह के बारे में भी बात की, जो गांव के चौराहों, सड़कों, मंदिरों आदि को साफ करने का काम करता है और तमिलनाडु की आदिवासी महिलाएं जो पहले ही हजारों पर्यावरण के अनुकूल टेराकोटा कप निर्यात कर चुकी हैं, उनका भी उल्लेख किया । .
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के मंजूर अहमद, बेतिया के प्रमोद, मणिपुर की विजयशांति देवी और प्रदीप सांगवान का उदाहरण भी दिया, जिन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभियान चलाकर समाज पर गहरा सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे एज़ोले ने सभी नागरिकों को 100 एपिसोड की इस शानदार यात्रा के लिए बधाई दी। उन्होंने आगे हमारे कुछ वास्तविक नायकों के कुछ और उदाहरण दिए जिनके प्रयासों ने हमारी शिक्षा प्रणाली को बढ़ाया है और हमारी सांस्कृतिक विविधता को भी संरक्षित रखा है।
अंत में, प्रधान मंत्री ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और जी20 की अध्यक्षता के साथ एपिसोड का समापन किया, जिसने भारत को अपनी विविध वैश्विक संस्कृतियों को समृद्ध करने में मजबूत किया है। उन्होंने उपनिषदों से एक प्रेरक मंत्र उद्धृत किया, ‘चरैवेति चरैवेति चरैवेति’, जिसका अनुवाद ‘चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो है ।’