कर्नाटक विधानसभा (karnataka vidhansabha )चुनाव 2023 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. 224 सीटों वाले कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार करने वाली कांग्रेस पार्टी की जीत(win ) में उसके किए हुए वादों का बहुत बड़ा रोल है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस द्वारा उठाए गए स्थानीय मुद्दों की वजह से उसने कर्नाटक में ‘मोदी मैजिक’ रोकने में सफलता हासिल की है।
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कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election Result) में हार की समीक्षा से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेता यह मान रहे हैं कि कांग्रेस (Congress) द्वारा बजरंग दल (Bajrang Dal) पर बैन लगाने के वादे की वजह से मुस्लिम समुदाय (Muslim Votes) का एकतरफा ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हुआ, जिसकी वजह से जेडीएस (JDS) के वोट बैंक में बहुत ज्यादा गिरावट आई
कांग्रेस के पक्ष में चला गया मुस्लिम वोट(muslim vote )
कर्नाटक के ओल्ड मैसूर इलाके को जेडीएस (JDS) का गढ़ माना जाता है और इस इलाके में विधानसभा की 55 सीटें हैं. इन सीटों पर जीत-हार का फैसला वोक्कालिगा और मुस्लिम मतदाता (Muslim Voters) ही करते आए हैं और ये दोनों ही समुदाय जेडीएस के ठोस वोट बैंक माने जाते रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस (Congress) द्वारा बजरंग दल (Bajrang Dal) पर बैन लगाने के वादे और भाजपा द्वारा इसे बजरंगबली के अपमान से जोड़ने की मुहिम ने मुस्लिम वोट बैंक का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में कर दिया।
18.3 प्रतिशत मत के साथ जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी
(Karnataka Election) के आंकड़े भी यही कहानी बयां करते नजर आ रहे हैं. 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में 18.3 प्रतिशत मत के साथ जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 38.1 प्रतिशत मत के साथ कांग्रेस को 80 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में अब तक आये नतीजों की बात करें तो जेडीएस के वोट बैंक में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई है और यही 5 प्रतिशत कांग्रेस को ज्यादा मिला है.जेडीएस (JDS) के सबसे मजबूत गढ़ कर्नाटक के ओल्ड मैसूर इलाके की बात करें (जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी-खासी है) तो वहां जेडीएस की लगभग 15 सीटें घटती दिखाई दे रही हैं