कहते है बेटियाँ पापा कि परी होती है लेकिन जब वही बाप बेटे की चाह में दूसरी शादी कर ले ऐसे में उन बेटियों पर क्या गुजरती होगी , आज के वक्त में बेटा और बेटी बराबर होते है अब वो जमाना गया कि हम बेटे बेटी पर फर्क करें । बिलासपुर (bilaspur)में महिला आयोग की सुनवाई के दौरान माता-पिता के तलाक के बाद 20 साल की बेटी ने अपना हक दिलाने की मांग की। इस केस की सुनवाई के दौरान आयोग ने गुरुवार(thrusday) को पिता और परिजन को तलब कर जवाब मांगा।
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राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य अर्चना उपाध्याय एवं डॉ. अनिता रावटे ने गुरुवार को जल संसाधन विभाग के प्रार्थना सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित 35 मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान मुंगेली जिले के पथरिया क्षेत्र के बिरकोनी हाई स्कूल पदस्थ व्याख्याता ने 2006 को अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया, जिसके बाद से महिला अपनी दो साल की सिंकलिन पीड़ित अपनी बेटी की भरण-पोषण करती रही।अब उनकी बेटी 20 साल की हो गई है और बीबीए सेकेण्ड ईयर की स्टूडेन्ट(student) है। उसे पढ़ाई लिखाई और इलाज के लिये आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
साल 2012 में उसने अपनी पहली पत्नी से विधिवत तलाक (divorce)लिया
सुनवाई के दौरान टीचर पिता ने आयोग को बताया कि परिवार न्यायालय से साल 2012 में उसने अपनी पहली पत्नी से विधिवत तलाक लिया है। अब उसने दूसरी शादी कर ली है और उनकी दो बेटियां हैं। इस पर आयोग ने पूछा की अपनी बेटी का नाम शासकीय अभिलेखों में क्यों दर्ज नहीं कराया है, तब वह गोलमोल जवाब देने लगा। इस दौरान टीचर के पिता ने कहा कि सभी कृषि भूमि की पर्ची में अपनी पोती का नाम दर्ज कराएंगे.
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