तमिलनाडु और महाराष्ट्र में जल्लीकट्टू खेल की परमिशन देने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि क्या जल्लीकट्टू जैसे सांडों को वश में करने वाले खेल में किसी जानवर का इस्तेमाल किया जा सकता है? इस पर सरकार ने हलफनामे में कहा था कि जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन का काम नहीं है. बल्कि महान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला कार्यक्रम है। इस खेल में सांडों पर कोई क्रूरता नहीं होती है। पेरू, कोलंबिया और स्पेन जैसे देश भी बुल फाइटिंग को अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं।
8 दिसंबर 2022 को मामले में सुनवाई पूरी
बेंच ने 8 दिसंबर 2022 को मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सवा पांच महीने बाद अपना फैसला सुनाने जा रही है।
पेटा ने इस कानून को रद्द करने की मांग की
खेल के आयोजन को लेकर तमिलनाडु सरकार की तरफ से बनाए गए कानून के खिलाफ पेटा फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। पेटा ने इस कानून को रद्द करने की मांग की। उसने कहा कि जानवरों के साथ इस तरह से क्रूरता गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो याचिका खारिज कर दी, लेकिन पुनर्विचार याचिका दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया।