ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। BIG NEWS : राजस्थान मारवाड़ के रहने वाले प्रवीण कुमार केम्पेगौड़ा को इंटरनेशनल एयरपोर्ट (KIA) उतरने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। प्रवीण अकासा एयरलाइंस की फ्लाइट से अहमदाबाद से बेंगलुरु जा रहे थे।
उन पर आरोप था- फ्लाइट में बीड़ी पीने का।
प्रवीण ने अपनी सफाई में कहा कि वह पहली बार प्लेन में बैठे थे। ट्रेन में सफर के दौरान अक्सर स्मोकिंग करते हैं। प्लेन में भी ऐसा कर सकते हैं, यही सोचकर उन्होंने टॉयलेट में बीड़ी पी।
इस मामले में KIA के एक अधिकारी ने बताया कि प्लेन में बैठने से पहले हर पैसेंजर का सिक्योरिटी चेक होता है। उस दौरान सिगरेट या बीड़ी का पता न लगा पाना भी एक बड़ी गलती है।
आइये जानते हैं कि फ्लाइट, ट्रेन, पब्लिक प्लेसेस में स्मोकिंग करने के क्या है नियम –
सवाल: स्मोकिंग को लेकर फ्लाइट में क्या नियम हैं?
जवाब: इंडियन एयरक्राफ्ट एक्ट 1937 की धारा 25 में लिखा है कि फ्लाइट में स्मोकिंग करने पर पूरी तरह से रोक है। विमान में पायलट, क्रू मेंबर्स और यात्री स्मोकिंग नहीं कर सकते।
सवाल: अगर फ्लाइट में स्मोकिंग करते हुए पाए गए, तो क्या एक्शन हो सकता है?
जवाब: आपको फ्लाइट से उतारा जा सकता है, आपको सजा के तौर पर जेल हो सकती है। जुर्माना भी लग सकता है।
सवाल: नो फ्लाई लिस्ट में डालने को लेकर कोई गाइडलाइन है क्या?
जवाब: इसके लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी DGCA ने 2017 में एक गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत, गलत बिहेवियर करने वाले यात्री को 3 महीने से लेकर 2 साल या फिर हमेशा के लिए ‘नो फ्लाई लिस्ट’ में डाला सकता है।
सवाल: ट्रेन में स्मोकिंग करने पर क्या नियम हैं?
जवाब: ट्रेन में वैसे तो लगभग कोई भी सामान लेकर चलने की परमिशन रेलवे देता है, लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें बैन किया गया है। उसकी लिस्ट नीचे लगे क्रिएटिव में दी गई है।
सवाल: अगर कोई इन बैन सामनों को लेकर यात्रा कर रहा है तो उसे क्या सजा मिलती है?
जवाब: उत्तर रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर दीपक कुमार के मुताबिक अगर आप इन बैन सामानों को यात्रा के दौरान साथ लेकर जा रहे हैं तो रेलवे एक्ट 1989 की धारा 164-165 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
इस धारा के तहत 1000 रुपए का जुर्माना, 3 साल की सजा या फिर दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।
सवाल: भारत में क्या आप ट्रेन में सिगरेट पी सकते हैं?
जवाब: बिल्कुल नहीं। रेलवे एक्ट की धारा 167 के तहत ट्रेनों में स्मोकिंग करना जुर्म है। किसी अन्य यात्री के मना करने पर या आपत्ति जताने के बाद डिब्बे में स्मोकिंग करते पाए जाने पर 100 से 500 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सवाल: डिब्बे यानी कोच के अलावा क्या ट्रेन के टॉयलेट में भी सिगरेट नहीं पी सकते हैं?
जवाब: इसका जवाब नहीं है। जलती हुई सिगरेट बट या माचिस की तीली को टॉयलेट के कूड़ेदान में फेंकने या कहीं भी फेंकने से आग लग सकती है। इससे काफी नुकसान हो सकता है।
भारतीय रेलवे बोर्ड ने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत रेलवे सुरक्षा बल और टिकट जांच कर्मचारियों को, ट्रेनों में सिगरेट पीने वालों के उल्लंघन करने पर सजा देने का प्रावधान है।
सवाल: पब्लिक प्लेसेस पर स्मोकिंग को लेकर क्या नियम हैं?
जवाब: सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स एक्ट यानी COTPA की धारा-4 में पब्लिक प्लेसेस पर स्मोकिंग की रोक लगाई गई है। इसके अंतर्गत पब्लिक प्लेसेस जैसे होटल, रेस्टोरेंट, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, प्राइवेट एवं सरकारी कार्यालयों पर स्मोकिंग करना प्रतिबंधित है।
इस अधिनियम के तहत सभी पब्लिक प्लेसेस के इंचार्ज की तरफ से धूम्रपान निषेध क्षेत्र यानी नो स्मोकिंग एरिया वाले बोर्ड लगाना जरूरी है।
सवाल: अच्छा तो पब्लिक प्लेसेस के अंतर्गत कौन-कौन सी जगहें आती हैं?
जवाब: पब्लिक प्लेसेस जैसे सिनेमाहॉल, हॉस्पिटल, रोडवेज बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, ऑडिटोरियम, एयरपोर्ट, पब, सरकारी कार्यालय, लाइब्रेरी, कोर्ट, पोस्ट ऑफिस, मार्केट, शॉपिंग मॉल, कैंटीन, रिफ्रेशमेंट रूम, बैंक्वेट हॉल, कॉफी हाउस, डिस्को, स्कूल, पार्क, एम्यूजमेंट सेंटर के साथ और भी कई जगहें हैं, जहां पब्लिक अपने मर्जी से आ जा सकती है।
सवाल: इस कानून का उल्लंघन करने वालों की शिकायत करने के लिए क्या कोई स्मोकिंग हेल्पलाइन नंबर है?
जवाब: हां बिल्कुल है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2009 में धूम्रपान कानून के उल्लंघन की शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 1800110456 भी शुरू किया।
सवाल: बहुत नियम-कानून की बातें हो गईं, अब स्मोकिंग से हेल्थ पर क्या असर होता है ये जानते हैं?
जवाब: रेस्पिरेटरी स्पेशलिस्ट और फोर्टिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. विवेक नांगिया का कहना है कि सिगरेट मुंह से लेकर पेट, लिवर, गले जैसे कई तरह के कैंसर का कारण बन सकती है।
सिगरेट पीने का शरीर पर कई तरह से असर होता है…
1. मुंह
- सिगरेट का धुआं नाक की बाहरी लेयर को डैमेज कर देता है। इससे मुंह, चेहरे और नाक की स्किन पर भी असर पड़ता है।
- होंठ और मसूड़े काले हो जाते हैं।मसूड़ों का कैंसर तक हो सकता है।
- धुआं और हीट मुंह के अंदर की सेंस्टिव स्किन को भी डैमेज करते हैं। चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं।
- धुआं मुंह में जाते ही दांतों के इनेमल पर जमा होकर उन्हें पीला करने लगता है। दांतों के बीच की कैविटी में टार जमने लगता है। टार और केमिकल्स मुंह और नाक को जोड़ने वाली नली में जमने से ब्रीदिंग प्रॉब्लम हो सकती है।
- इसमें मौजूद टार टेस्ट बड्स और सलाइवा ग्लैंड को ब्लॉक कर देता है। मुंह में लार कम बनती है। मुंह सूखने लगता है। मुंह के गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं और मुंह से बदबू आने लगती है। नाक की नली में सिगरेट के धुएं में मौजूद टार और केमिकल जमने से सूंघने की क्षमता कमजोर होने लगती है।
2. गला
- सिगरेट का धुआं गले में मौजूद पतली झिल्ली को नुकसान पहुंचाता है। इससे ड्रायनेस, और इरिटेशन हो सकता है।
- सिगरेट के धुएं में मौजूद फार्मेल्डिहाइड और एक्रोलीन नामक केमिकल थ्रॉट इन्फेक्शन और कैंसर का कारण बनते हैं।
- सिगरेट के धुएं में मौजूद केमिकल्स वोकल कार्ड को नुकसान पहुंचाते हैं इससे आवाज पर असर पड़ता है। गले का कैंसर भी हो सकता है।
3. विंड पाइप
- सिगरेट के धुएं से विंड पाइप में मौजूद ऑर्गन डैमेज होते हैं। इससे खांसी और लेरिंजाइटिस नामक प्रॉब्लम हो सकती है।
4. फूड पाइप
- सिगरेट के धुएं में मौजूद केमिकल्स फूड पाइप की मसल्स को डैमेज कर देते हैं। इससे पेट का एसिड गले तक पहुंचकर जलन पैदा करता है।
5. फेफड़े
- सिगरेट का धुआं रेस्पिरेटरी सिस्टम में जमा होने लगता है। इससे ब्रॉंकाइटिस, अस्थमा जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।
- सिगरेट के धुएं में मौजूद टार फेफड़ों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है। इससे थकान, ब्रीदलेसनेस, सीटी जैसी आवाज आने लगती है।
- सिगरेट के धुएं में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ब्लड में ऑक्सीजन लेवल कम कर देती है। इससे शरीर के सभी अंगों को नुकसान होता है।
- सिगरेट का धुआं जब आप इन्हेल करने के बाद वापस छोड़ते हैं तो यही प्रोसेस फिर से होती है और नुकसान डबल हो जाता है।
सवाल: सिगरेट के धुएं में मौजूद बेहद खतरनाक चीजें कौन सी हैं?
जवाब: ये हैं खतरनाक चीजें-
टार: ये लंग्स में मौजूद इन्फेक्शन और बैक्टीरिया को रोकने वाले बालों पर जम जाता है। इसमें मौजूद केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड: ये खून में मौजूद ऑक्सीजन को कम करती है। इससे जल्दी थकान और कमजोरी आने लगती है। इससे लंग्स की बीमारी हो सकती है।
ऑक्सीडेंट गैस: ये गैस ऑक्सीजन के साथ रिएक्ट करती हैं और खून को ज्यादा गाढ़ा बना देती हैं, इससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है।
बेंजीन: ये बॉडी सेल्स को डैमेज करता है। कई तरह के कैंसर का कारण भी बन सकता है।
स्मोकिंग से हर साल 8 लाख लोगों की मौत
स्मोकिंग करना किस हद तक डेंजरस हो सकता है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत में हर साल 8 लाख लोगों की मौत तंबाकू और इससे जुड़े प्रोडक्ट को खाने से होती है। इसके बावजूद लोगों को अपनी मौत छोटी लगती है और तांबाकू की तलब ज्यादा महत्वपूर्ण।