सूरजपुर। मौसम का तापमान बढ़ते ही जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने लगी है। जंगल में आग की वजह से घने जंगल तबाह हो रहे हैं तो वही कई प्रकार के जानवरों की मौत हो जा रही है। बड़े जानवर रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं, जिसकी वजह से इंसानों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। वन विभाग के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। तस्वीरों में दिखती आग ऊंची ऊंची लपटें, आसमान पर छाया काला धुआं.. यह नजारा है सूरजपुर के प्रतापपुर वन परीक्षेत्र के दरहोरा गांव का।
यह घना जंगल गांव से लगा हुआ है, जहां अचानक किसी कारण से जंगल में आग लग गई। कई घंटों तक आग अपना तांडव मचाता रहा, हरे भरे पेड़ जलकर खाक होते रहे, लेकिन वन विभाग का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी मौके पर पहुंचने की जहमत तक नहीं उठाया। लगभग 5 घंटे के बाद फायर वाचर के द्वारा दो ग्रामीणों को आग बुझाने के लिए जंगल भेज दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि फायर वाचर अपने रिश्तेदार के यहां घूमने गया हुआ है। इसलिए वह आग बुझाने के लिए आए हैं। सवाल यह है कि इतने भयंकर आग को आम ग्रामीण कैसे बुझा सकता है और यदि इस दौरान कोई हादसा हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा ?? घने जंगल आग की वजह से तबाह हो रहे हैं और वन विभाग चैन की नींद सो रहा है।
जिले में जंगल में आग ना लगे इसके लिए वन विभाग के द्वारा 119 फायर वाचर नियुक्त किए गए हैं, जिनकी जिम्मेदारी है कि वह जंगल को आग से बचाएं और आग लगने की स्थिति में तत्काल मौके पर पहुंचकर आग बुझाने के लिए प्रयास करें। इसके लिए वन विभाग के द्वारा इनको वेतन के रूप में मोटी रकम दी जाती है। ऐसे में मौके पर फायर वाचर अपना कितना काम कर रहे हैं हम अपनी तस्वीरों में दिखा रहे हैं। वन विभाग के बड़े अधिकारी का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी ऐसे लोगों के मनोबल को बढ़ाने का काम कर रहा है। जंगल सार्वजनिक संपत्ति है। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग के साथ ही आम लोगों की भी है। ऐसे में जरूरत है कि सभी कोई मिलकर जंगल को बचाए ताकि कल हमारा भविष्य भी बच सके।