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RAIPUR NEWS : ‘स्ट्रेनथिंग स्कूल एजुकेशन इन छत्तीसगढ़, इश्यू एंड चैलेंजेस’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

Neeraj Gupta
Last updated: 2023/05/24 at 6:40 PM
Neeraj Gupta
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5 Min Read
RAIPUR NEWS : One day workshop on 'Strengthening School Education in Chhattisgarh, Issues and Challenges' organized
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रायपुर। RAIPUR NEWS : आरटीई फोरम और आर्थिक अनुसंधान केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्ट्रेनथिंग स्कूल एजुकेशन इन छत्तीसगढ़ इश्यू एंड चैलेंजेस’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को राजधानी के जयस्तंभ चौक स्थित होटल सोलिटेयर में किया गया। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के अलावा दिल्ली और उत्तरप्रदेश के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि हुए शामिल।

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25 प्रतिशत विद्यालय ही आरटीई का पालन करते है 

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कार्यशाला में नेशनल काउंसिल फ़ॉर एजुकेशन, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक रमाकांत राय ने बताया कि देश के केवल 25 प्रतिशत विद्यालय ही शिक्षा का अधिकार कानून ( आरटीई) का पालन करते हैं। छत्तीसगढ़ में यह 25.2 प्रतिशत है। यानी कि 75 प्रतिशत स्कूल आरटीई का पालन नहीं होता। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि देश में 6-14 साल के कुल 14.8 प्रतिशत बच्चे आउट ऑफ स्कूल हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में 6.6 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ नॉन गवर्मेन्ट स्कूल फी रेगुलेशन एक्ट 2020 और केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए उसकी खामियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब पालकों, शिक्षक संगठन, शिक्षाविद एवं सिविल सोसायटी के लोगों को निजी स्कूलों के खिलाफ खुलकर सामने आना चाहिए और निजी स्कूलों को नियंत्रित करने अपने विधायकों के जरिये विधानसभाओं में मुद्दा उठाना चाहिए।

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रकारी स्कूलों को खराब बताकर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया जा रहा

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कार्यशाला के प्रारंभ में आरटीई फोरम के राष्ट्रीय संयोजक गौतम बंदोपाध्याय ने शिक्षा का परिदृश्य और छत्तीसगढ़ के मुद्दों पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समय है, जब शिक्षा पर हमला हो रहा है। सरकारी स्कूलों को खराब बताकर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में स्कूलों के मर्जर से हजारों की संख्या में स्कूल बंद हुए हैं। इससे ड्राप आउट बच्चों की संख्या बढ़ी हैं। उन्होंने विकलांगों, विशेष पिछड़ी जनजातियों के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी स्कूल नहीं बचेंगे तो लोकतंत्र भी नहीं बचेगा। आरटीई फोरम नई दिल्ली की सह संयोजक एंजेला तनेजा ने कार्यशाला में ऑनलाइन जुड़कर आरटीई और छतीसगढ़ नॉन गवर्मेन्ट स्कूल फी रेगुलेशन एक्ट 2020 की खामियों को रेखांकित करते हुए उन खामियों को दूर करने के उपायों पर विस्तार से बात रखी।

प्रत्येक स्कूल में खेल ग्राउंड और खेल शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए

बालक-पालक समिति की अध्यक्ष विजय लक्ष्मी ठाकुर ने कहा कि शासकीय स्कूलों में आवश्यक सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए। प्रत्येक स्कूल में खेल ग्राउंड और खेल शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। गणेशनगर स्कूल, बिलासपुर की एसएमसी अध्यक्ष सुनीता सोनवानी ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की ट्रेनिंग नहीं होती। बेहद कम तनख्वाह में शिक्षक नौकरी करते हैं। मोटी फीस लेने के बाद भी निजी स्कूल क्वालिटी एजुकेशन देने में नाकाम हैं।

बिलासपुर के ही फिरदियुस एक्का ने कहा कि स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं। ऊपर से उन शिक्षकों के ऊपर अन्य कई तरह के सरकारी काम सौंप दिए जाते हैं, इससे शिक्षा की गुणवत्ता तो खराब है और इसी वजह से प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा मिल रहा है। कोंडागांव, बस्तर से आये भूपेश तिवारी ने निजी स्कूलों द्वारा नियमों के उलंघन, सुविधाएं न देने और पूरी फीस वसूलने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। कार्यशाला में नई दिल्ली आरटीई फोरम कार्यालय के सचिव मित्ररंजन ने सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2023 पर विचार रखे। कार्यशाला में दंतेवाड़ा के प्रणीत सिम्भा, नारायणपुर के प्रमोद पोटाई, जांजगीर की संतोषी राठौर, कोटा की स्वेता आदि ने भी संबोधित किया। कार्यशाला का संचालन और आभार प्रदर्शन के प्रकाश गार्डिया ने किया।

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