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ये पार्टियां लेंगी उद्घाटन समारोह में हिस्सा
संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में एनडीए के जो 18 दल हिस्सा लेंगे, उनमें बीजेपी, शिवसेना-शिंदे, मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी मेघालय, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जन-नायक पार्टी, एआईएडीएमके, आईएमकेएमके, एजेएसयू, आरपीआई, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पट्टाली मक्कल काची, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, अपना दल और असम गण परिषद शामिल हैं.
गैर एनडीए दल होंगे शामिल
समारोह में 28 मई को छह गैर एनडीए पार्टियां- लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान), बीजेडी, बीएसपी, टीडीपी और वाईएसआरसीपी और जेडीएस शामिल होंगी. जेडीएस की ओर से पार्टी प्रमुख और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा समारोह में शामिल होंगे.
New Parliament nauguration: BSP का मिला साथ
इस महत्वपूर्ण समारोह में बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती का साथ मिला है. उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का समर्थन किया है. हालांकि, अपने अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त होने के कारण वह खुद समारोह में शामिल नहीं होने की बात कह रही हैं.
इन पार्टियों ने किया बहिष्कार
लगभग 20 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की बात कही है. बहिष्कार करने वालों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), जेडीयू, AAP, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काटची (VCK), मारुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (MDMK)
राष्ट्रीय लोकदल, भारत राष्ट्र समित (BRS) और एआईएमआईएम शामिल हैं.
New Parliament nauguration: विपक्षी दल इसलिए कर रहे कार्यक्रम का बहिष्कार?
कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों. इसके लिए संविधान के राष्ट्रपति और संसद से जुड़े अनुच्छेदों का जिक्र किया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जिक्र करते हुए विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है. उनका आरोप है कि उद्घाटन समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखकर केंद्र सरकार ने अशोभनीय काम किया है. एक साझा बयान यह भी आरोप भी लगाया गया है कि राष्ट्रपति मुर्मू को दूर रख पीएम मोदी की ओर से लिया गया संसद के नए भवन के उद्घाटन का फैसला लोकतंत्र पर हमला है.