New Parliament Inauguration : पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अधीनम बंधुओं से मुलाकात की. अधीनम संतों ने पीएम मोदी को सेन्गोल सौंपा, जिसे तमिल परंपरा के साथ रविवार को भारत के नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया रस्मी राजदंड (सेंगोल) इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था और इसे संसद के नए भवन में स्थापित करने के लिए दिल्ली लाया गया है। 5 फुट लंबा और 800 ग्राम वजनी वाला सेन्गोल न्याय का प्रतीक है। तमिल में सेन्गोल का मतलब होता है संपदा से संपन्न. इसके शीर्ष पर नंदी की प्रतिमा है।
चांदी से बनी और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक राजदंड को 28 मई को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया जाएगा. गौरतलब है कि 1947 में मठ का संचालन अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी के हाथों में था और यह फैसला लिया गया था आजादी और सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में एक सेन्गोल का निर्माण किया जाए.
मठ का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा था, जिसमें सदाई स्वामी उर्फ कुमारस्वामी थम्बीरन, मनिका ओडुवर और नादस्वरम वादक टी एन राजारथिनम पिल्लई शामिल थे.
थम्बीरन स्वामी ने लॉर्ड माउंटबैटन को सेन्गोल सौंपा था, जिन्होंने इसे वापस उन्हें (थम्बीरन स्वामी को) भेंट कर दिया था. इसके बाद, पारंपरिक संगीत की धुनों के बीच एक शोभायात्रा निकालकर सेन्गोल पंडित जवाहरलाल नेहरू के आवास पर ले जाया गया था. यहां थम्बीरन स्वामी ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेन्गोल नेहरू को भेंट किया था.
तिरुवदुथुरै आदिनाम के अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने बताया, राजदंड एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन की जरूरत को दर्शाता है और तमिल साहित्य में तिरुक्कुरल सहित कई किताबों में सेन्गोल का जिक्र है.
सेन्गोल के धार्मिक महत्व पर परमाचार्य स्वामी ने कहा, ‘सेंगोल चोल साम्राज्य के शासनकाल में अपनाई जाने वाली परंपराओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था और इस पर ऋषभ (नंदी) का प्रतीक स्थापित किया गया था.’ उन्होंने कहा, ‘सेंगोल धर्म का प्रतीक है, नंदी धर्म का प्रतीक है; यह आने वाले हर काल के लिए धर्म की रक्षा का प्रतीक है.’ नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी रहने के साथ सेन्गोल को लेकर भी घमासान छिड़ा हुआ है. नई संसद के उद्घाटन समारोह का 21 विपक्षी दलों ने बहिष्कार का ऐलान किया है.