प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित किया। यह मन की बात का 101वां एपिसोड था। इसमें पीएम मोदी ने वीडी सावरकर और एनटी रामाराव को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘पिछले महीने मन की बात कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे होने पर देश और विदेश में समारोहों का आयोजन किया गया था। पीएम मोदी ने कहा, ‘मन की बात का यह एपिसोड दूसरे शतक की शुरुआत है। पहले के कार्यक्रमों ने सबको एक साथ लाने का काम किया है। आप सभी ने जो स्नेह मन की बात के लिए दिखाया है वह भावुक कर देने वाला है। मन की बात का प्रसारण हुआ तो अलग-अलग देशों में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला। मन की बात को लेकर देश-विदेश के लोगों ने अपने विचार रखे हैं। लोगों ने कहा है कि मन की बात में देश और देशवासियों की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है।’
उन्होंने कहा, ‘बीते दिनों हमने काशी-तमिल संगमम की बात की। कुछ समय पहले ही वाराणसी में काशी-तेलुगु संगमम हुआ। ऐसा ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है। यह प्रयास है युवा संगम का। मैंने सोचा इस बारे में विस्तार से उन्हीं लोगों से पूछा जाए जो इस प्रयास का हिस्सा रहे हैं।’ इसके बाद पीएम मोदी ने अरुणाचल के ग्यावर नुकुल और बिहार की विशाखा सिंह से बात की।
प्रधानमंत्री ने कहा, अरुणाचल के लोग बहुत ही आत्मीयता से भरे होते हैं। उन्होंने विशाखा सिंह ने भी बात की जो कि युवा संगम के तहत तमिलनाडु गई थीं। पीएम मोदी ने उनसे उनके अनुभव पूछे और उन्हें इस यात्रा के बारे में ब्लॉग लिखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, युवा संगम में इन युवाओं ने जो सीखा है वह जीवन पर्यंत उनके साथ रहेगा।
उन्होंने आगे कहा, भारत की शक्ति इसकी विविधिता में है। भारत में देखने के लिए बहुत कुछ है। इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने युवा संगम की पहल की है। इसके तहत विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों को जोड़ा गया है। युवाओं को अलग-अलग लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है। पहले चरण में लगभग 1200 युवा देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। युवा ऐसी यादों को लेकर वापस लौट रहे हैं वे जीवनभर उनकी यादों में बसी रहेंगी।
पीएम मोदी ने कहा, दूसरे देशों के नेता भी बताते हैं कि युवा अवस्था में वे भी भारत घूमने आए थे। हमारे देश में बहुत कुछ देखने का है। उन्होंने कहा, कुछ दिनों पहले मैं जापान के हिरोशिमा में था। वहां मुझे हिरोशिमा पीस म्यूजियम में जाने का मौका मिला। यह भावुक कर देने वाला क्षण था। कई बार म्यूजियम में हमें नए सबक मिलते हैं। कुछ दिन पहले भारत में इंटरनेशनल म्यूजियम एक्सपो का आयोजन किया गया था। हमारे भारत में कई ऐसे म्यूजियम हैं जो कि हमारे अतीत से जुड़े पहलुओँ को प्रदर्शित करते हैं। जैसे कि गुरुग्राम में म्यूजियो कैमरा संग्रहालय है। इसमें 1860 के बाद के कैमरों का संग्रह है। मुंबई के म्यूजियम में 70 हजार से ज्यादा जीचें सुरक्षित रखी गई हैं।
उन्होंने कहा, बीते वर्षों में भारत में नए-नए म्यूजियम बनाए गए हैं। कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में काम किया गया। पीएम म्यूजियम भी दिल्ली की शोभा बढ़ा रहा है। दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल में हजारों लोग आते हैं। देशभर में म्यूजियम की लिस्ट काफी लंबी है। म्यूजियम की थीम क्या है और कौन सी चीजें रखी हैं। यह सब एक ऑनलाइन डायरेक्टरी में समाहित किया गया है। आपको जब भी मौका मिले आप इन म्यूजियम को देखने जरूर जाएं और हैशटैग म्यूजियम मेमोरीज पर शेयर करना ना भूलें।
उन्होंने कहा, हम सब ने एक कहावत कई बार सुनी होगी। बिन पानी सब सून। बिना पानी जीवन पर संकट तो रहता है व्यक्ति और देश का विकास भी ठप हो जाता है। अब देश के हर जिले में 7 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। ये आजादी के अमृतकाल में बन रहे हैं। अब तक 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका है। हम हर गर्मी में इस चुनौती पर बात करते हैं। लेकिन इस बार जल संरक्षण से जुड़े स्टार्टअप की चर्चा करेंगे। एक स्टार्टअप है जो कि वॉटर मैनेजमेंट के विकल्प देता है। दूसरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है जिसकी मदद से पानी वितरण की निगरानी की जा सके और पता लगाया जा सकेगा कि कितना पानी बर्बाद हो रहा है।
स्टार्टअप्स की बात
पीएम मोदी ने कहा, कुंभी कागज स्टार्टअप जलकुंभी से कागज बना रहा है। इसे जल स्रोतों के लिए समस्या समझा जाता था। उसी से कागज बनने लगा है। कई युवा ऐसे हैं जो कि समाज को जागरूक करने के मिशन में लगे हैं। छत्तीसगढ़ में युवाओं ने पानी बचाने के लिए अभियान शुरू किया। वे घर-घर जाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। शादी-ब्याह में भी जाकर पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी जागरूक करते हैं। झारखंड के खूंटी जिले में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बांस का रास्ता निकाला है। यहां साग सब्जियां भी पैदा होने लगी हैं। इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। जन भागेदारी का प्रयास समाज में बदलाव लाता है।
मोदी ने कहा. 1965 के युद्ध के समय पूर्व प्रधानमंत्री जय जवान. जय किसान का नारा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान को जोड़ दिया था। फिर मैंने जन अनुसंधान जोड़ दिया। पीएम मोदी ने शिवाजी डोले की बात की जो कि नासिक के गांव में रहते हैं। वह पूर्व सैनिक हैं। उन्होंने देश के लिए अपना जीवन दे दिया। रिटायर होने के बाद उन्होंने खेती में डिप्लोमा किया। जय जवान से जय किसान बन गए। अब हर पल उनकी कोशिश रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दें। उन्होंने 20 लोगों की टीम बनाई और एक सहकारी संस्था का जिम्मा ले लिया। आज इस संगठन का विस्तार कई जिलों में हो गया। इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं जिनमें काफी संख्या में पूर्व सरकारी कर्मचारी हैं।
सावरकर पर क्या बोले पीएम मोदी?
उन्होंने वीर सावरकर को याद किया और कहा कि उनके त्याग साहस और संकल्प शक्ति से जुड़ी गाथाएं सबको प्रेरित करती हैं। मैं अंडमान में उस कोठरी में गया था जहां उन्होंने कालापानी की सजा काटी थी। वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता का था। उनके स्वभाव को गुलामी की मानसिकता रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं सामाजिक समानता और न्याय के लिए उन्होंने जो कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है। 4 जून को संत कबीर की भी जयंती है। कबीरदास जी कहते थे, कबिरा कुआं एक है पानी भरे अनेक। बर्तन में ही भेद है, पानी सबमें एक।।
एनटी रामाराव को किया याद
उन्होंने एनटी रामाराव की बात की और कहा कि आज उनकी 100वीं जयंती है। उन्होंने कहा, अपने बहुमुखी प्रतिभा के बल पर वह तेलुगु सिनेमा के नायक बने। उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों को अपने अभिनय से जीवित कर दिया था। लोग उन्हें आज भी याद करते हैं. उन्होंने सिनेमा के साथ ही राजनीति में अलग पहचान बनाई। उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और आशीर्वाद मिला। मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हू्ं।