रायपुर। IAS Anil Tuteja : इतिहास के पन्नों में कुछ ऐसे किरदार भी रहे हैं, जिन्होंने अपने राज्य की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन कभी उन्होंने खुद को श्रेय नहीं दिया। बल्कि उसे एक सामूहिक प्रयास का नाम दिया है। इसके बावजूद उनके किरदार की चर्चा उस वक्त जरूर होती है। जब उनके दौरान काम की सफलता का जिक्र किसी की जुबां पर होता है। वो बचपन से ही मेधावी और प्रखर मेधा के धनी थे। साथ ही मिलनसार भी। पढ़ाई शुरू होती है, धीरे-धीरे बाल मन में देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा। इस लक्ष्य को पाने के लिए प्रशासनिक सेवा की तैयारी। पूरे तात्कालीक मध्यप्रदेश राज्य सेवा आयोग में टॉप कर गए।
जी हां, हम बात कर रहे हैं आईएएस अनिल टुटेजा (IAS Anil Tuteja) की, जो आज सेवानिवृत (Retired) हो गए। इनकी चर्चा इसलिए कर रहे हैं, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर विकास की तमाम सफल योजनाओं का खाका खींचा था। भले वे इसका श्रेय कभी नहीं लिए लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने जरूर लिया। लेकिन इनकी सफलता रुपी प्रतिभा के विरोधी लॉबी ने साजिशों का ऐसा तानाबुना, ईओडब्ल्यू-एसीबी के छापे पड़े। इसके बाद इनके उत्कृष्ट कामों पर राजनीतिक साजिशों के तमाम झंझावतों के बावजूद वे कभी डिगे नहीं और अपने कर्म पथ पर पूरे कार्यकाल के दौरान विकास की नई इबारतें गढ़ते चले गए। उधर इनके द्वारा किए महत्वपूर्ण कामों को धूमिल करने के लिए विरोधी लॉबी बार-बार नाकाम कोशिशे करते रहें। बावजूद अनिल टुटेज अपनी मेधा शक्ति की प्रखर ज्योति को कभी मंद्धम नहीं पड़ने दिए।
इनकी अद्वितीय क्षमता की परख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को थी। लिहाजा, उन्होंने उन पर भरोसा जताया क्योंकि भूपेश बघेल जी को मालूम था, वे साजिशों के शिकार हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ के लिए जनकल्याणकारी योजनाओं की रुपरेखा बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। ऐसे में वे भी पूरे खरे उतरे। सबसे पहले छत्तीसगढ़ में उद्योगों को पुर्नजीवित करने के लिए उन्होंने नई उद्योग पॉलिसी बनाई। साथ ही निवेश वे क्षेत्र ढूंढे, जिनसे छत्तीसगढ़ के विकास में एक संजीवनी का काम किया। उदाहरण के तौर पर एथेनाल प्लांटों के स्थापित होने की बाढ़ लग गई।
उन्होंने दिन रात देश के राज्यों और विदेशों में चल रही नीतियों का अध्ययन भी किया। इनमें जो अलग हटकर चीजें सामने आईं, उसके आधार पर एक समावेशी योजनाओं का खाका खींचा। इसके बाद इन्होंने भूपेश सरकार के सामने उन जीवंत और फलदायी योजनाओं को रखा। जिसके महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने योजनाओं को लागू किया।
जनता से सरकार के बीच एक मजबूत कड़ी बनाने में भी अहम भूमिका निभाई
इसमें बतौर उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना है। जिसे आज पूरे देश में सभी राज्यों की सरकारें भी पसंद कर रही हैं। और उसे अपने-अपने राज्यों में अलग-अलग नामों से लागू कर चुकी हैं या लागू कर रही है। यही कारण है कि अभी तक बीते चुनावों में भूपेश के मॉडल की चर्चा भी किसी से छिपी नहीं है। बहरहाल, अनिल टुटेजा जी ने योजनाओं को मूर्तरूप देने के साथ जनता से सरकार के बीच एक मजबूत कड़ी बनाने में भी अहम भूमिका निभाई। वे जानते थे, भूपेश बघेल के गढबो नवा छत्तीसगढ़ के नारे को साकार रूप से आकार देने के लिए यहां संस्कृति और लोक परंपराओं के साथ एक समावेशी योजनाएं बननी चाहिए। ऐसे में जैसे ही उन्हें भूपेश बघेल के इस सपने को पूरा करने का मौका मिला तो उन्होंने रामवन गमन पथ और कृष्ण कुंज को पर्यटन के रूप में विकसित करने की योजना में भागीदारी निभाई। वे किसी विषय वस्तु को पहले भूत-भविष्य और वर्तमान की कसौटी पर कसने के बाद ही निर्णायक बिंदु अपनी योजनाओं में शामिल करते थे।
उनकी इसी क्षमता को पहचानकर पूर्ववर्ती सरकार में भी उन्होंने कई योजनाओं को मूर्त रुप देने में भूमिका निभाई थी। इसमें ग्राम सुराज अभियान जैसे कई कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा। इसके बावजूद अफसरों की लॉबिंग के जरिए जब से वे भूपेश सरकार के साथ जुड़े हैं। तब से भाजपा उनके व्यक्तिव और छवि धूमिल करने के प्रयास करती रही। बहरहाल, उन्होंने राजनीतिक आरोपों को कभी अपने पर हॉवी नहीं होने दिया और भूपेश सरकार के साथ मिलकर जनकल्याणकारी योजनाओं के गढ़ने में लगे रहे। आज वे रिटायर तो हो गए लेकिन जब छत्तीसगढ़ की क्रांतिकारी योजनाओं की बात होगी तो विकास की फलक पर उनके नामों की चर्चा होती रहेगी।
IAS Anil Tuteja : शतरंज के राष्ट्रीय खिलाड़ी
ये तो सच है दिगामी खेल शतरंज के खेलने वालों की कुशाग्र मेधा के धनी होते हैं। एक यह भी कारण था, विकट से विकट समस्या से वे निकल जाते थे। विरोधियों के झूठे और झांसे वाले खेल में वे सिंकदर साबित हुए। बता दें, उन्हें शतरंज खेलना बहुत पसंद है और वह अपने सर्वश्रेष्ठ ऑल इंडिया रैंक 32 पर थे और वे एमपी रैंक 1 थे। वह अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के सदस्य भी थे। वह एक बार सिविल सेवा शतरंज टूर्नामेंट के लिए तिरुवनंतपुरम गए थे जहां वह दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे थे।