जशपुर । धर्म पर आधारित टीवी सीरियल (TV serial), फिल्मों और पौराणिक कथाओं में तो नागलोक (Naglok) के बार में आपने कई बार देखा, सुना और पढ़ा होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि धरती पर सच में नागलोक है, वो भी भारत (India) के ही छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में. जी हां छत्तीसगढ़ में एक ऐसा जिला है, जिसे धरती का नागलोक कहा जाता है. क्योंकि यहां सापों की बस्ती है. अलग-अलग प्रकार के कई जहरीले सांप (venomous snake) यहां पाए जाते हैं।
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दरअसल छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jashpur) जिले में राज्य में अन्य जिलों की तुलना में सबसे ज्यादा सांप पाए जाते हैं. सर्पदंश से मौत के आंकड़ों में भी जशपुर प्रदेश में सबसे ज्याद हैं. जिले में विभिन्न प्रजाति के सांपों(snake ) के बड़ी संख्या में पाए जाने के कारण ही इसे धरती का नागलोग कहा जाता है.इसी क्रम में आज सर्प विशेषज्ञ डॉ. अजय शर्मा ने सर्पज्ञान केंद्र के संचालन को लेकर राज्यपाल के सचिव अमृत कुमार खलखो को ये ज्ञापन सौंपा है. डॉ. शर्मा ने खलखो को सांपों और सर्पज्ञान केंद्र से के बारे में कई अहम जानकारी भी दी । इस दौरान दोनों के बीच सांप और प्रकृति के संरक्षण सहित जिला-जशपुर के नागलोक(तपकरा) क्षेत्र के अनेक विषयों पर चर्चा हुई।
‘सर्पज्ञान केंद्र’ सर्पदंश की कुरूपता को सुंदरता में बदलने की प्रक्रिया का नाम-अजय शर्मा (DR. AJAY SHARMA)
अजय शर्मा का कहना है कि सर्प ज्ञान केंद्र न केवल सर्पों से सम्बंधित है, बल्कि यह केंद्र वैज्ञानिक अध्ययनों और जड़ी-बूटियों से सम्बंधित ज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला हो सकती है. सर्पदंश की कुरूपता को सुंदरता में बदलने की प्रक्रिया का नाम ही ‘सर्पज्ञान केंद्र’ है. ग्रामीणों जीवन को हर संभव सुरक्षा प्रदान करना और सांपों के संरक्षण के लिए उन्हें प्रेरित करना सर्प ज्ञान केंद्र के यह भी एक आधार होंगे.
40 से ज्यादा प्रजाति के सांप
40 से ज्यादा प्रजाति पाई जाती है। डॉ. अजय शर्मा बताते हैं कि सर्पदंश से स्वतंत्रता के बाद करीब 12 लाख से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं । जब कि स्वतंत्रता संग्राम हो, भारत-पाक युद्ध हो, भारत-चीन युद्ध हो या कारगिल युद्ध हो, सभी युद्धों में होने वाली मौतों की संख्या 5 लाख के करीब है।
– post by VEENA CHAKRAVARTY