गरियाबंद – डॉक्टर्स डे’ एक गौरव का दिन, समाज में डॉक्टर को मिला है भगवान का दर्जा आज हमको आपको सुनाते है एक ऐसे डॉक्टर की कहानी जिसके भरोसे 40 हज़ार लोग रहते है , वैसे तो गरियाबंद में ज़िला अस्पताल में कहने को लगभग डॉक्टर की संख्या 21 है , पर कोई भी जब अस्पताल जाता है जाते ही डॉ चौहान को ही खोजने लगता है, शासकीय डॉक्टर होने के बावजूद इनकी इतनी ख्याति है की इनके सेवाओं के आगे प्राइवेट डाक्टर के सेवाए भी कम पड़ जाती है, इनकी दवा से ज़्यादा से लोग इनके बातो से राहत महसूस करते है, दिन हो की रात चौबीस घंटे अपने सेवाए देने को तत्पर रहते है और लोग है की इलाज के लिए इनके घर तक पहुँच जाते है ज़िले के बाहर और ज़िला मुख्यालय में कई ऐसे भी मरीज़ है जो इनसे फ़ोन पर ही प्रामरश लेते है , ये ऐसे डाक्टर है ,जो समय के पाबंद नहीं ये दस से पाँच की गिनती में नहीं आते और ना ही इन्हें दवा लिखने के लिए पर्ची की ज़रूरत पड़ती है राह चलते किसी भी जगह पेन और काग़ज़ ले कर चल पड़ते है राहत पहुँचाने तो कभी कंधे को बोर्ड बना लेते है तो कभी मोबाइल को रख कर लिख देते है , ज़िले के सैकडो लोगो की जान बांचने वाले मसीहा, डॉ हरीश चौहान के लोग इतने क़ायल है की उन्हें अपने दुख में तो याद करते है पर सुख में याद करने से भी नहीं भूलते,
इनका डायलॉग कुछ नि होय रे छोटू सोशल मीडिया में ट्रेंड करता है
बहुत ही कम ऐसे डॉक्टर होते है जो सरकारी अस्पताल में रहते हुए अपनी सेवा और लोगो के बीच विश्वास क़ायम कर पाते है हर तपके के लोगो के साथ एक जैसा व्यवहार रखने वाले, डरा सहमा सा मरीज़ जब इनके पास जात है तो वो भी ख़ुशी के साथ वापस आता है और इनकी बाते सुन कर आधी राहत पा लेता है और वो भी बाहर आ कर कहता है , कुछू नि होय रे छोटू,
स्वर्गीय डॉ मेमन के शोक में डूबे गरियाबंद को मिला डॉ चौहान
गरियाबंद में एक दौर ऐसा भी आया जब ग़रीबो के डॉ स्वर्गीय रज्जाक मेमन अपनी सेवाए देते देते अचानाक ज़िले को बेसहारा छोड़ कर चले गए उनके जाने से जहां पूरा शहर शोक में डूब गया वही उनके विकल्प के रूप में लोगो ने डॉ चौहान की सेवाओं को देख कर उन्हें ज़िला प्रशासन से माँग कर रायपुर से गरियाबंद बुलाया उस दिन से ले कर आज तक निरन्तर इनकी सेवाओं का लाभ गरियाबंद ज़िलेवासीयो को मिल रहा है सेवा की एक जीती जागती मिसाल है ,ये उन डॉक्टरो के लिए जो सेवा को व्यवसाय बना लिए है, लोग कहते है स्वर्गीय डॉ मेमन के जाने के बाद डॉ चौहान का गरियाबंद आना नगरवासीयो के के लिए एक वरदान से कम नहीं, अपनी तुलना डॉ मेमन से करने पर डॉ चौहान कहते है, डॉ मेमन मेरे गुरु थे उनके जगह लेना तो दूर उनके आस पास भी मेरा वजूद नहीं है , मैंने उनसे सीखा है अपने प्रोफ़ेशन से कैसे लोगो की सेवा की जा सकती है मैं एक छोटा सा व्यक्ति हूँ ईश्वर ने मुझे माध्यम बनाया है गरियाबंद के लोगो की सेवा करने के लिए जिस प्रकार से मेरे गुरु डॉ मेमन ने मानव सेवा में अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी वही मैं करने की कोशिश कर रहा हूँ पैसे की कमी से किसी का इलाज रुके ये ये मैं देख नहीं सकता, गरियाबंद मेरा परिवार है और मुझे इस बात कि ख़ुशी होती है लोग मुझे अपने परिवार का हिस्सा समझते है…