राहुल गांधी ने अपनी याचिका में दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक की मांग की है. इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने 7 जुलाई को उनकी इस मांग को खारिज कर दिया था। राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो सके, इसके लिए जरूरी है कि उनके खिलाफ दोषी ठहराए जाने के फैसले पर भी रोक लगे।
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गुजरात हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राहुल गांधी(rahul gandhi ) के खिलाफ दस से ज्यादा केस लंबित हैं. राजनीति में शुद्धता वक्त की जरूरत है. जनप्रतिनिधियों को बेदाग होना चाहिए. इस शिकायत के बाद भी राहुल गांधी के खिलाफ दूसरी शिकायत दर्ज की गई. इनमें से एक शिकायत वीर सावरकर के पोते ने पुणे की कोर्ट मे दायर की क्योंकि आरोपी ने वीर सावरकर के खिलाफ मानहानि करने वाला बयान दिया था. लखनऊ की कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई. इन सब के मद्देनजर अगर राहुल गांधी के दोषी ठहराए जाने के फैसले पर अगर कोर्ट रोक नहीं लगता है तो उनके साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी।
समाज का एक बड़ा तबका उनके बयान से प्रभावित
गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि राहुल गांधी पर आरोप किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करने का न होकर, समाज के एक बड़े तबके की मानहानि का है. समाज का एक बड़ा तबका उनके बयान से प्रभावित हुआ है. राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी पार्टी के बड़े नेता है. जाहिर है, उनकी पहुंच के चलते उनका बयान समाज के बड़े तबके तक जाता है