कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार जिले में रोका-छेका अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत 25 जुलाई की शाम पशुधन विकास विभाग के विभागीय अधिकारियों/कर्मचारीयो ने बैकुंठपुर शहर के मिनी स्टेडियम मे एकत्र किये गए पशुओ एवं एनएच 43 पर बैठे पशुओं को दुर्घटना से बचाने रेडियम बेल्ट पहनाया गया। ये रेडियम बेल्ट इन पशुओं के गले में सिग्नल का काम करती है, रात के समय वाहनो की लाइट से रेडियम बेल्ट चमकती है जिससे इन पशुओं के कारण होने वाले सड़क हादसों में कमी आयेगी। घुमंतु पशुओं को गौठानों में रखने हेतु निर्देशित किया गया है। सभी गौठानों में चारा पानी की उचित व्यवस्था भी की गई है।
जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम पंचायतों में अवारा मवेशियों की रोकथाम हेतु कोटवार के माध्यम मुनादी करायी गई है। सभी ग्राम पंचायत सचिवों की बैठक लेकर रोका-छेका कार्यक्रम के तहत ग्राम सभाओं के माध्यम से ग्रामवासियों को जागरूक किया गया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग एन.एच. 43 में सड़कों में अवारा मवेशियों के विचरण हेतु रोकथाम के लिए मजदूरों द्वारा सड़क से हटाने का कार्य दिन व रात में किया जा रहा है साथ ही सभी पशुपालकों को जागरूक कर मवेशियों को बांध कर रखने की सलाह दी गई है। भविष्य में कार्ययोजना तैयार कर सड़कों को पशु विचरण से मुक्त किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
क्या है रोका-छेका?
रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कृषि विधियों में से एक है, छत्तीसगढ़ शासन ने सभी गांवों में रोका छेका अभियान आवारा पशुओं द्वारा फसलों की खुली चराई को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी गांवों में रोका-छेका अभियान शुरू किया है। पारंपरिक खेती के तरीकों को पुनर्जीवित करने और खरीफ फसलों को आवारा मवेशियों द्वारा खुले चरने से बचाने के लिए किया जाता है।