देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को श्रद्धासुमन देने के लिए सैकड़ौं लोग सदैव अटल स्मारक पहुंचे हैं. आज तीन बार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की पांचवी पुण्यतिथि है. गृहमंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, प्रफुल्ल पटेल, जीतेनराम मांझी, अनुप्रिया पटेल, सुदेश महतो भी मौजूद हैं. औपचारिक तौर पर गठबंधन के भी नेताओं को भी बुलाया गया है।
पीएम मोदी ने अटल बिहारी बाजपेयी की पुण्यतिथि पर कहा कि उनके नेतृत्व से भारत को बहुत फायदा हुआ. पूर्व प्रधान मंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने भारत की प्रगति को बढ़ावा देने और कई क्षेत्रों में इसे 21वीं सदी में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, “मैं भारत के 140 करोड़ लोगों के साथ मिलकर अटल जी को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.”भाजपा नेता और देश के पूर्व प्रधान मंत्री, वाजपेयी को पार्टी को उनके आधार से परे लोकप्रिय बनाने और छह साल तक सफलतापूर्वक गठबंधन सरकार चलाने का श्रेय दिया जाता है, इस दौरान उन्होंने सुधारों को आगे बढ़ाया और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक सफर
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल जी को छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में गहरी रुचि रही. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय से राजनीति का पाठ पढने वाले अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. पहली बार 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने गए. अटल जी के लिए सबसे बड़ा मौका तब आया जब इमरजेंसी के बाद 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार बनी. मोरारजी जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बने और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया। विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया।
बीजेपी की स्थापना
1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी और कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया. वे बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।