सुप्रीम कोर्ट ने गर्भावस्था खत्म करने की मांग को लेकर रेप पीड़िता की याचिका पर वक्त बर्बाद करने की कारगुजारी को लेकर गुजरात हाईकोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताई. साथ ही कोर्ट ने कल रविवार शाम तक मेडिकल रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया।
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सर्वोच्च अदालत ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने मामले में बहुमूल्य समय बर्बाद कर दिया है. जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि यह अदालत गुजरात राज्य को नोटिस जारी करती है. वकील स्वाति घिल्डियाल ने इस नोटिस को स्वीकार कर लिया है. जबकि गुजरात राज्य ने सभी प्रतिपक्षों के लिए नोटिस स्वीकार किया है
याचिकाकर्ता की ओर से शशांक सिंह ने अदालत में अपना पक्ष रखा
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से शशांक सिंह ने अदालत में अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में मामला 7 अगस्त को दाखिल किया गया था। इस मामले को 8 अगस्त को उठाया गया था और याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की स्थिति का पता लगाने के लिए इसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष रखने का निर्देश जारी किया गया था। फिर इसके 3 दिन बाद 11 अगस्त को भरौच मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर किरण पटेल ने रिपोर्ट सौंपी थी। र्वोच्च अदालत ने आज शनिवार को आदेश में कहा कि अजीब बात यह है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में समय की महत्ता के तथ्य को नजरअंदाज करते हुए मामले को 12 दिन बाद 23 अगस्त को सूचीबद्ध किया, जबकि हर दिन की देरी बेहद अहम और बहुत ही महत्वपूर्ण थी. हम कह सकते हैं कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने गर्भावस्था को खत्म करने की मांग की है. उसने अदालत का दरवाजा उस समय खटखटाया जब वह 26 हफ्ते की गर्भवती थी. 8 अगस्त से अगली लिस्टिंग तिथि तक का बेहद अहम समय नष्ट हो गया.
अब जानिए पूरा मामला
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया है कि आज तक याचिकाकर्ता 27 हफ्ते और 2 दिन की गर्भवती है और 28 हफ्ते की गर्भावस्था के करीब पहुंच जाएगी. चूंकि बहुमूल्य समय नष्ट हो गया है, इसलिए मेडिकल बोर्ड भरौच से नई रिपोर्ट मांगी जा सकती है.कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता को एक बार फिर से जांच के लिए केएमसीआरआई अस्पताल में उपस्थित होने का निर्देश देते हैं और मामले से जुड़ी नई स्थिति रिपोर्ट कल रविवार शाम 6 बजे तक इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है.