नाग पंचमी (nag panchami )2023 में अत्यंत शुभ योग बन रहा है. इस दिन लोग भगवान भोलेनाथ की कृपा दृष्टि पाने के लिए शुक्ल योग के निर्माण को अत्यधिक शुभ मानते हैं
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हिंदू पौराणिक कथाओं में, सांपों को भगवान शिव की पहचान के साथ जोड़ा जाता है, जो उनकी वश में शक्ति के प्रतीक के रूप में उनके उलझे हुए बालों को सुशोभित करते हैं. नाग पंचमी इन प्राणियों का सम्मान करने का दिन है, सावन के पवित्र महीने के साथ नाग पंचमी का जुड़ाव इसके महत्व को बढ़ा रहा है।
नाग पंचमी 2023 पर भाग्यशाली राशियां
मेष
मेष राशि के जातकों को अपने काम में वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलेगा. नौकरी की संभावनाएं बढ़ेंगी, जिससे आर्थिक लाभ होगा. व्यावसायिक प्रयास फलने-फूलने की संभावना है.
वृश्चिक
नाग पंचमी नई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए एक अनुकूल दिन प्रस्तुत करती है. निवेश करने पर विचार करें क्योंकि महत्वपूर्ण सौदे सफल हो सकते हैं. व्यवसायी लोग इस दिन उल्लेखनीय परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं.
धनु
मकर
लंबे समय से रुकी हुई परियोजनाएं आगे बढ़ने लगेंगी. आपके प्रयासों को सफलता मिलेगी, जिससे पारिवारिक खुशहाली आएगी. संतान की ओर से सकारात्मक समाचार की उम्मीद की जा सकती है और आपकी आय में वृद्धि देखने को मिलेगी।
कुंभ
कुंभ राशि के जातक वित्तीय लाभ और धन प्रबंधन में बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय की आशा कर सकते हैं. विवाह संबंधी सफल बातचीत के लिए यह दिन विशेष रूप से उपयुक्त है. अपने साथी के साथ छुट्टी पर जाने का यह आदर्श समय है
पौराणिक कथा(story )
पौराणिक कथा के अनुसार,अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने और नाग वंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ किया। क्यों कि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी।नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था।उन्होंने सावन की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी। और इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी। उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी।जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया,उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी एवं तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया।
नाग पंचमी की कथा पूजन विधि
नागपंचमी पर्व भगवान शिव के प्रिय नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। पूजन के लिए घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की आठ आकृतियां बनाकर हल्दी, रोली, चावल, घी, कच्चा दूध, फूल एवं जल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। इस दिन एक दिन पूर्व बनाए गए भोजन का भोग लगाने का विधान है। इसके अलावा शिवालयों में भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाने वाले तांबे के नाग की भी पूजा की जाती है। पूजन के बाद नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। मान्यता है कि नागपंचमी पर सांपों को दूध चढ़ाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही नागदेवता की पूजा से घर में धन आगमन का स्रोत बढ़ता है।