कोटा को कोचिंग हब माना जाता है. यहां हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए आते हैं. कोटा में बहुत सारे कोचिंग सेंटर्स हैं जिनमें लाखों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं. जाहिर है जब स्टूडेंट्स इतने ज्यादा हैं तो कांपटीशन भी उसी लेवल का होता है. इस कांपटीशन कल्चर से हारकर पिछले दिनों कोटा में एक-एक करके बहुत सारे स्टूडेंट्स ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।
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कोटा के कोचिंग सेंटर्स के लिए पारित आदेश में कहा गया है कि यहां सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगले दो महीने के लिए कोई टे्सट आयोजित नहीं किया जाएगा. ये फैसला स्टूडेंट्स के ऊपर पड़ते दबाव को कम करने के लिए लिया गया है. इस फैसले से उन्हें मेंटल सपोर्ट मिलेगा ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है.
क्या लिखा है आदेश में
इस बाबत जारी कार्यालरय जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, कोटा के आदेश के मुताबिक, कोटा में चल रहे कोचिंग संस्थानों में रह रहे और यहां पढ़ रहे स्टूडेंट्स को मेंटल सपोर्ट और सिक्योरिटी देने के लिए अगले दो महीने तक किसी प्रकार का टेस्ट लेने से रोक लगाई जाती है. यहां समय-समय पर होने वाले टेस्ट अब आयोजित नहीं होंगे और अक्टूबर महीने तक कोंचिंग के बच्चों को किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी होगी.
अभी तक सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में कोटा में रहने वाले दो युवाओं ने सुसाइड कर लिया. ये मेडिकल की तैयारी कर रहे थे. इनके सुसाइड करने के बाद इस साल कोटा में आत्महत्या करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 23 हो गई है. जब प्रशासन ने साल 2015 से यहां होने वाले सुसाइड का डेटा इकट्ठा किया तो पाया कि ये संख्या अभी तक सबसे ज्यादा है