हेल्थ डेस्क ग्रैंड न्यूज़। HEALTH NEWS : बदलती दिनचर्या और खानपान की अव्यवस्थित आदतों के कारण आजकल दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हार्ट में ब्लॉकेज होने से संबंधित समस्या आजकल आम होती जा रही है, जिसके लिए अक्सर दिल के मरीजों को बायपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी करानी पड़ती है, जो काफी महंगी होती है, लेकिन इसके अलावा भी एक ऐसी थैरेपी है, जिसके जरिए इस शारीरिक समस्या का निदान किया जा सकता है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर ए फरिश्ता बताते हैं कि , कार्डियोलॉजी में एंजियोप्लास्टी या बायपास के लिए कुछ केसेज़ में पेशेंट की उम्र ज्यादा होती हैं, तो कुछ में पेशेंट की क्रिटिकल मेडिकल कंडीशन की वजह से ऑपरेशन संभव नहीं हो पाता लेकिन इस पद्धती की मदद से उनकी इस समस्या का निदान आसानी से हो जाता हैं। आइये जानते हैं क्या हैं यह EECP थेरेपी।
ये थैरेपी है EECP, जिसका पूरा नाम है एन्हांस्ड एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन (ईईसीपी) –Enhanced External Counterpulsation आसान शब्दों में कहें तो EECP एक तरह की दिल की फिजियोथैरेपी है। दरअसल EECP थैरेपी में तीन तरह से दिल में रक्त के प्रवाह को बढ़ाया जाता है।
EECP अमेरिका सरकार द्वारा मानयता प्राप्त बाईपास मशीन है जो ह्रदय से सबधी बीमारी को इलाज करने के लिए प्रयोग में लाए जाती है मेडिकल भाषा में इसे नैचुरल बाईपास थेरेपी के नाम से जाना जाता है इस मशीन का प्रयोग हार्ट ब्लॉकेज ठीक करने के लिए या हमारी शरीर का रक्त प्रवाह बढ़ाकर ब्लॉकेज जैसी समस्या को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
थेरेपी के कोई साइड इफेक्ट नहीं
विशेषज्ञ बताते हैं कि , यह एक नैचुरल बाईपास थेरेपी है इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और ना ही इस में कोई चीर फाड़ करनी पड़ती है जैसे कि, बाईपास सर्जरी में करते हैं इसमें हृदय संबंधी बीमारियां को बिना सर्जरी व बिना स्टंट के ब्लॉक खोलने का काम किया जाता है। यह एक नैचुरल थेरेपी है जिन पेशेंट की बाईपास सर्जरी हो चुकी है, उसके बाद भी अगर उनहे HEART समस्या आती है या ब्लॉकएज दोबारा से बनना शुरु हो जाते हैं। कुछ पेशेंट के लिए भी यह प्रयोग में लाए जा सकती है और पेशेंट इससे अपना इलाज करवा सकते हैं इसका खर्च भी बाईपास सर्जरी के मुताबिक बहुत ही सस्ता और कम है।
कितना आता हैं खर्च?
बाईपास सर्जरी में जहां 4 लाख से 5 लाख रुपय पेशेंट को खर्च करने पर जाते हैं वही इस नैचुरल बाईपास थेरेपी में 1.20. से 1.50 लाख खर्चा आता है। यह 35 दिन का कोर्स होता है दिन में 1 से 2 घंटे की प्रोसेस होती है इसमें पेशंट को एडमिट होने की भी जरूरत नहीं पड़ती। आज के समय में ज्यादातर लोग जिन्हें हार्ट संबंधी बीमारी है वह बिना किसी टेंशन के अपना इलाज करवा सकते हैं। इसमें कुछ पाटीदार नुमा कपड़ा पैरों से जाघोॅ तक लगाया जाता है और मशीन द्वारा प्रेशर दिलाकर मानव शरीर के रक्त प्रभाव को बढ़ाना है जो हमारे हार्ट में बने ब्लॉक को धीरे-धीरे खोलता है। ज्यादातर देखा गया है की 70 से 80 परसेंट तक पेशेंट इसमें ठीक हो रहे हैं और अमरीका में लोग बाईपास सर्जरी से बचने के लिए इसको बहुत ही महत्व दे रहे हैं अब यह भारत जैसे देश में भी कुछ स्थानों पर उपलब्ध है और इसे अपना कर पेशेंट बायपास सर्जरी से बच सकते हैं। इस तकनीक का अब तेजी से विस्तार हो रहा हैं।