बता दे इससे पहले विपक्ष ने एक देश, एक चुनाव के मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एक देश, एक चुनाव पर केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एक देश एक चुनाव की अभी जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि पहले महंगाई और बेरोजगारी का निदान हो। वहीं, AIMIM नेता असदउद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भारत में एक देश, एक चुनाव संभव नहीं है। ओवैसी ने वन नेशन, वन इलेक्शन को असंवैधानिक बताया।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। सूत्रों के अनुसार सरकार इस दौरान एक देश एक चुनाव को लेकर बिल भी ला सकती है।
एक देश-एक चुनाव का फैसला लागू होने से क्या होगा ?
अगर देश में एक देश-एक चुनाव का फैसला लागू होता है, तो सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ ही कराए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर इसके पक्ष में जोर-शोर से आवाज़ उठा चुके हैं और अब देश में इसको लेकर माहौल बनाया जा रहा है। कुछ वक्त पहले ही लॉ कमिशन ने एक देश एक चुनाव पर आम लोगों की राय भी मांगी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में इस बात का जिक्र किया था कि किसी को भी एक सिरे से एक देश-एक चुनाव के मसले को नहीं नकारना चाहिए और इसपर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। पीएम मोदी ने देश का वक्त, खर्च और विकास की गति तो तेज करने के लिए एक देश-एक चुनाव को वक्त की जरूरत बताया था और कहा कि हमें इस ओर कदम बढ़ाने चाहिए।