श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी कहा जाता है. माना जाता है कि यह वही दिन है जब भगवान विष्णु ने धरती पर कृष्ण अवतार लिया था. हर साल भाद्रपद माह के कृष्म पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भक्त पूरे श्रद्धाभाव से अपने आराध्य श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के लिए व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.
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मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इस चलते 6 सितंबर के दिन ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurt) रात 11 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 42 मिनट तक है. माना जाता है कि श्रीकृष्ण की पूजा करने पर भक्तों के जीवन में खुशहाली आती है. जन्माष्टमी के दिन शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और पंचमेवा से बाल कृष्ण (Bal Krishna) की मूर्ति को स्नान कराया जाता है. इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाकर पालने में स्थापित करते हैं. श्रीकृष्ण की आरती की जाती है, भजन गाए जाते हैं और जन्माष्टमी की कथा पढ़ी, देखी व सुनी जाती है. इस दिन भोग में पंजीरी तैयार की जाती है और पूजा के पश्चात सभी में इसे बांटा जाता है. रात्रि जागरण आयोजित किए जाते हैं और श्रीकृष्ण की स्तुति की जाती है।
पंचांग के अनुसार
पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर, दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी.। इसके अलावा 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 21 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र आरंभ होगा और 7 सितंबर के दिन 10 बजकर 25 मिनट पर इसकी समाप्ति हो जाएगी।
श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ
शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे. मथुरा में भी जन्माष्टमी 6 सितंबर को ही मनाई जाएगी. इसी दिन रोहिनी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. वहीं वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा का अलग विधान है. इसलिए वैष्णव संप्रदाय में 07 सिंतबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।