रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों विशेषकर जैन धर्म के अनुयायियों को पर्युषण-पर्व की शुभकामनाएं दी हैं।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व जैन समाज का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह आत्मविशुद्धि, संयम, त्याग और आत्मचेतना को विकसित करने का अवसर देता है। यह पर्व अहिंसा, दया, प्रेम की राह पर चलना सिखाता है। मान्यता है कि भगवान महावीर ने इस त्यौहार के दौरान अपनी शिक्षाएं दीं और जैन धर्म के मुख्य सिद्धांतों को प्रतिपादित किया। इसमें 10 दिन तक जैन धर्म के लोग व्रत, उपवास, तप, करते हैं. इसके साथ ही अपने आराध्य महावीर स्वामी की पूजा करते हैं
पर्युषण पर्व का महत्व (Paryushan Parv Significance)
जैन धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा हैं. इन दस दिनों में लोग व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वंय के पापों की आलोचन करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है. भगवान महावीर के जीवन काल से प्रभावित होकर पर्युषण पर्व को मनाया जाने लगा। माना जाता है जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व कहा गया था. यह हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है.
पर्युषण पर्व कैसे मनाया जाता है
- पर्युषण पर्व के समय 5 कर्तव्य का विशेषकर ध्यान रखा जाता है.
- पर्युषण पर्व तैयारी दो भाग में की जाती है.
- पहला तीर्थंकरों की पूजा करना और उन्हें स्मरण करना
- दूसरा इस व्रत को शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को समर्पित करना.
- इसका व्रत करने से बुरे कर्मों का नाश होता है. मोक्ष की राह आसान होती है.
- पर्युषण पर्व के आखिरी दिन को महापर्व के रूप में मनाते हैं.