रायपुर। विगत आठ वर्षों से लगातार छत्तीसगढ़ियावाद के लिये संघर्षरत संगठन छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने इस बार अपना मजबूत राजनैतिक विंग तैयार कर लिया है । क्रान्ति सेना का कहना है कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के हक अधिकार की जमीनी लड़ाई लड़ते हुए हमलोग लगातार जेल जाते रहे, प्रताड़ना सहते रहे और प्रदेश में छत्तीसगढ़ियावाद को केंद्रीय मुद्दा बनाने में सफल रहे । लेकिन वास्तविकता में दोनो राष्ट्रीय दल के नेता वोट बटोरने के लिये ही छत्तीसगढ़ियावाद का मुखौटा लगाकर घूमते नजर आ रहे हैं । सदन को गुमराह करते हैं और हर क्षेत्र में गैर छत्तीसगढ़िया बाहरी लोगों को हमारी धरती में हमारे सिर के उपर स्थापित करने की ठेकेदारी ही कर रहे हैं ।
ऐसे में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना अपने बड़े बुजुर्गों के आदेश और हताश-निराश छत्तीसगढ़िया युवाओं के कातर आह्वान पर इस प्रदेश के नीति-निर्धारण को अपने मजबूत छत्तीसगढ़िया कंधो में थामने के लिए छाती ठोंक कर निकल चुकी है ।
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पहली सूची के अनुसार पंद्रह जिलों के पचास से अधिक विधानसभाओं के मूल्यांकन और खंड़-गुड़ी-पार की अवधारणा के साथ बूथ लेवल तक की सुनिश्चितता के लिए मूल संगठन के राजनैतिक विंग द्वारा चयनित और प्रशिक्षित तीस जिला प्रभारी एवं उप प्रभारी अपने निर्देशित जिलों के लिये कूच कर चुके हैं । बाकी बचे जिलों के लिये द्वितियक सूची का निर्माण हो रहा है ।
छत्तीसगढ़ियों का शोषण वक्त-दर-वक्त बरदाश्त से बाहर होने लगा है
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश संयोजक ने बताया कि हम कभी नहीं चाहते थे कि राजनीति में आएं । राजनीति ही अगर मंजिल होती तो हम आठ साल पहले ही चुनावी समर में कूद चुके होते लेकिन छत्तीसगढ़ियों का शोषण वक्त-दर-वक्त बरदाश्त से बाहर होने लगा है , हमारे जैसे मूल निवासी समर्थक संगठन के उपर हो रहा प्रशासनिक उत्पीड़न चरम पर जाने लगा है । अब हमें प्रदेश के उच्च सदन छत्तीसगढ़ विधानसभा में अमीर धरती के कंगाल कर दिये गये छत्तीसगढ़िया लोगों की करुण पीड़ा की आवाज पहुंचाने के लिये खुद वहां तक पहुंच कर सत्ता की मशाल लिजलिजे लोगों से छीनकर खुद के हाथों में थामना होगा।