गम तो बहुत है, पर मैं रोऊंगी नहीं। ये शब्द जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए मेजर आशीष धौनेक की मांकमला देवी के हैं। नम आंखों और रुंधे गले से वह कहती हैं कि मेरा बेटे की कोई तीन ही बहन नहीं थीं। देश की तमाम बहनें उसकी थीं और सभी की रक्षा के लिए उसने शहादत दी है। शहीद की मां ने कहा मैंने एक शेर बेटे को जन्म दिया था। मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया। मैं अपने बेटे को सैल्यूट करूंगी। बेटे का स्वागत करुंगी। उसे अपनी झोली में लूंगी, मैं रोऊंगी नहीं।
जम्मू-कश्मीर के कोकरनाग में शहीद हुए जांबाज डीएसपी हुमायूं भट्ट का पार्थिव शव बडगाम के हुमहामा में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अपने जांबाज अफसर को अंतिम विदाई देने हजारों लोग पहुंचे थे, यहां जब पुलिस लाइन में शहीद बेटे को श्रद्धांजलि देने डीएसपी के पिता पहुंचे, तो बेटे के पार्थिव शरीर तक दस कदम चलना उनके लिए कितना मुश्किल रहा होगा, समझा जा सकता है। शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट की फैमिली में उनकी पत्नी और दो महीने की बेटी है। उनकी शादी बीते साल हुई थी। उनके पिता गुलाम हसन भट्ट पूर्व डीआईजी हैं। हुमायूं की पत्नी प्रोफेसर हैं।
पानीपत के सेक्टर-7 स्थित घर में उनकी पार्थिव देह पहुंची
मेजर आशीष धोंचक का आज सुबह पार्थिव शरीर पानीपत पहुंचा। जैसे ही पानीपत के सेक्टर-7 स्थित घर में उनकी पार्थिव देह पहुंची, मानों कोहराम मच गया. फिलहाल, उनका पार्थिव शव उनके पैतृक गांव बिंझौल ले जाया जा रहा है। हजारों की संख्या में श्रद्धांजलि देने के लिए लोग मेजर के आवास पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारी और ग्रामीण आए हैं. सेक्टर-7 में लोगों ने तिरंगे में लिपटे मेजर पर फूल बरसाए. ग्रामीणों का काफिला तिरंगे के साथ, वंदे मातरम जैसे नारों के साथ शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर के साथ चलता रहा.बता दें कि पानीपत के सेक्टर-7 में ही आशीष का परिवार किराए के मकान पर रहता है. पहले पार्थिव शरीर को यहां लाया गया है। फिर अब पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव बिंझौल ले जाया जाएगा. यहीं पर उनका अंतिम संस्कार होगा। मेजर आशीष के तीन बहनों के इकलौते भाई थे. उनकी दो साल की बेटी है और पत्नी है. फिलहाल, सेक्टर सात से अब उनके शव काे TDI सिटी स्थित नए घर लाया गया