हरतालिका तीज पर्व सोमवार को श्रद्धा, उल्लास और परंपरा के साथ मनाया गया। पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा। अखंड सौभाग्य के निमित्त सोलह शृंगार करके विधि- विधान से पूजा-अर्चना की। की।
गरियाबंद-इसी कड़ी में सोमवार देर रात तक 18 सितंबर को मुख्यालय सहित पूरे जिले में निर्जला व्रत हरितालिका तीज मनाया गया।पुराना मंगल बाज़ार में जहाँ सभी सुहागिन महिलायें एकत्रित हुए और फुलेरा सजाया साथ ही सभी सुहागिनों ने एवं युवतियों ने भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करके पति की दीर्घायु और सुयोग्य वर की मनोकामना की।व्रतधारी महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर और रात में पूजन कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा। पूजन में व्रतधारी महिलायें पांच प्रकार के व्यंजन अर्पित कर रेत से भगवान शंकर और पार्वती के अक्श को हल्दी, कुमकुम, चंदन, बेलपत्र और भगवान शंकर एवं माता पार्वती को चढ़ने वाले फल एवं सुहाग की सामग्री चढ़ाकर शुभ मुहुर्त पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया। रात्रि में व्रत धारी महिलाएं, एक-दूसरे के घरों में पहुंची और हल्दी कुमकुम का सौभाग्य का तिलक लगाया और रात्रि जागरण किया।18 सितंबर को मनाए गए हरितालिका तीज व्रत करने वाली महिलाओं ने आज प्रातः गौरपूजन किया। जिसके बाद घरों में सुंदर मंडप के नीचे गौर को विराजित कर उसका विधि, विधान से पूजन किया जाएगा।
मां पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उन्हें महादेव पति के रूप में प्राप्त हुए.-राधिका सिन्हा
राधिका सिन्हा ने बताया मान्यता है कि सबसे पहले मां पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उन्हें महादेव पति के रूप में प्राप्त हुए. इसलिए हरतालिका तीज पर मां पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है. हरतालिका तीज व्रत और पूजा का फल तभी प्राप्त होता है, जब इसे श्रद्धापूर्वक और नियमानुसार किया जाएगा. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि हरितालिका तीज, भगवान शिव और माता अखंड जुड़ाव का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गौरतलब हो कि हरितालिका तीज का व्रत, सुहागन महिलाओं की ओर से पति की दीर्घायु और कुंवारी युवतियों द्वारा सुयोग्य वर की कामना से व्रत को निर्जला रूप में किया जाता है। यह व्रत वर्ष में एक बार आने वाला कठिन व्रत है, व्रत सभी सौभाग्यवती स्त्रियां निर्जला, निराहार रहकर करती है, यह सबसे लंबी अवधि का व्रत माना गया है।जो सूर्योदय से शुरू होकर दूसरे दिन सूर्योदय तक उपासक निराहार निर्जला रहकर व्रत करते हैं रात्रि में जागरण कर चार पहर की पूजा होती है। 19 सितंबर को हरितालिका तीज के गौर का विसर्जन सरोवरो में भक्तिभाव के साथ किया जाएगा।
पति की लंबी उम्र की कामना लिए पत्नियों ने किया हरतालिका तीज का व्रत-लक्ष्मी सिन्हा
लक्ष्मी सिन्हा ने कहा हरतालिका तीज सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तीज 18 सितंबर को मनाई गई।निर्जल उपवास है जो पार्वती माता ने शिवजी के लिए रखा था। इसलिए आज के दिन अखंड सौभाग्य के लिए निर्जल उपवास रखते हैं। कल सुबह इसकी पूजा और समापन होगा, यह माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना का पर्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और उनके वैभव व यश के लिए भगवान शिव की आराधना करती हैं और दिनभर निर्जला रहकर उनसे मंगल कामनाएं करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना से महादेव और माता पार्वती की आराधना कर निर्जला व्रत रखती है।इस अवसर पर ये रही उपस्थित-धरमीन बाई सिन्हा सुमन लता केला केला लता सिन्हा संध्या सोनी लक्ष्मी सिन्हा रत्ना सिन्हा राधिका सिन्हा कीर्ति सिन्हा वंदना सिन्हा पूनम सोनी रूपाली सोनी बिझवारींन सिन्हा लीना सिन्हा