शत्रुघन चौधरी/बिलासपुर। Karwa Chauth 2023 : पति की दीर्घायु की कामना को लेकर मनाया जाने वाला करवा चौथ पर्व न्यायधानी में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बुधवार रात 8:43 बजे उड़ते बादलों के बीच चंद्रमा नजर आने के बाद सुहागिनों ने चलनी की ओट में पति को देखा, इसके बाद उनके हाथों निर्जला व्रत पारण किया।
महिलाओं ने दिनभर निर्जल व्रत रख शाम को शिव परिवार की पूजा की और चांद का दीदार कर अर्घ्य दिया। घरों के साथ ही कई सार्वजनिक स्थलों पर भी सामूहिक पूजा की गई। पूजन कक्ष की दीवार पर और आंगन में चावल को पीसकर उसमें करवा रखा। इसके बाद चंद्रमा, शिव, पार्वती, कार्तिकेय आदि के चित्र बनाए और गौरी-गणेश बनाकर उनकी स्थापना कर पूजा-अर्चना किया गया। करवा चौथ पर विशेष पूजन अर्चना कर महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु की कामना की। पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साह नव विवाहितों में दिखा। सुहाग का प्रतीक माना जाता है करवा चौथ का व्रत। मान्यता हैं कि करवा चौथ का पूरे विधि विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की गई। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फल दायक माना जाता है।
अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल रखती है। यह व्रत निर्जला होता है, जो बेहद कठिन माना जाता है। करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और इसका पारण चंद्र दर्शन के साथ किया जाता है करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ किया, फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पश्चात ही अपना व्रत खोला।