मराठा आरक्षण आंदोलन अब हिंसात्मक होता जा रहा है, प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, मनोज जरांगे पाटील के अनशन शुरू करने के बाद से लगातार इनमें तेजी आ रही है
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महाराष्ट्र में अनशन करके सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कई मराठा युवा आरक्षण की मांग को लेकर अपनी जान देने पर उतारू हैं. अब तक संभाजीनगर में दो, परभणी में दो, नांदेड़ में दो और लातूर, अंबाजोगाई, हिंगोली, जालना, बीड, नगर, पुणे और धाराशिव में एक-एक युवक आरक्षण की मांग को लेकर अपनी जान दे चुके हैं. पिछले डेढ़ महीनों में यह संख्या 14 तक पहुंच गई है. किसी ने सुसाइड नोट लिखा है तो किसी ने दीवार पर लिखकर कहा है-‘मराठा आरक्षण के लिए दुनिया को अलविदा’.
मराठा आरक्षण के लिए लोगों ने दी जान
- पुणे में वेंकट धोपरे ने आत्महत्या कर ली. यह कदम उसने डिप्रेशन में उठाया, क्योंकि न तो मराठा समुदाय को रिजर्वेशन मिल रहा है और न अनुकंपा के आधार पर नौकरी. उनका शव पुणे के आलंदी में इंद्रायणी नदी में मिला था.
- एक 25 वर्षीय युवक ने ‘हम अपने गांव चलते हैं.. हमारी ओर से रामराम’ लिखकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. यह घटना अहमदनगर जिले के संगमनेर तहसील के झोले गांव में हुई. 25 साल के इस युवक का नाम सागर भाऊसाहेब था.
- धाराशिव में कलंबा तालुका के बाबलगांव में मराठा आरक्षण के लिए एक युवक ने जहर खा लिया. 35 वर्षीय युवक सज्जन वाघमारे ने Msc तक पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन नौकरी न मिलने की वजह से वह हताश थे.
- हिंगोली जिले के अखाड़ा बालापुर के पास देवजाना गांव के 25 वर्षीय युवक कृष्णा कल्याणकर ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. जेब में जो नोट मिला, उसमें लिखा था कि-‘मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान दे रहे हैं’
- छत्रपति संभाजीनगर के अपातगांव में 28 वर्षीय गणेश कुबेर ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने सदन बोर्ड पर लिखकर कहा कि, वह ये कदम मराठा आरक्षण के लिए उठा रहे हैं. बोर्ड पर लिखा था कि ‘जब तक आरक्षण नहीं मिलता, मुझे मत जलाओ.इसी तरह जालना के अंबद में युवक सुनील कावले ने औरंगाबाद में खुदकुशी कर ली