विदिशा के मुक्तिधाम में पिछले 14 वर्षों से लगातार छोटी दिपावली यानी नरक चतुर्दशी ,रूप चौदस पर पूरे मुक्तिधाम परिसर को विद्युत बल्ब और झालरों से रोशन किया जाता है यहां पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर पूरे मुक्तिधाम परिसर में रंगोली सजाते हैं और एक दिया अपने परिजनों की याद में रोशन करके उन्हें याद करते हैं विदिशा का यह मुक्तिधाम एक ऐसा अनूठा मुक्ति धाम बन चुका है जहां माता बहने भी भय मुक्त होकर दीपोत्सव के इस पर्व पर शामिल होती हैं देश का यह अनूठा मुक्तिधाम है जहां पिछले 14 वर्षों से ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो यह संदेश भी देते हैं कि जिन परिजनों के संग हमने दीपोत्सव का पर्व उनकी मौजूदगी में मनाया है और इस एहसास को वैसे ही महसूस करने के लिए पिछले 14 वर्षों से मुक्तिधाम सेवा समिति निरंतर यह अनूठा कार्य संपन्न करती है। इस हेतु पूरे मुक्तिधाम की स्वच्छता सफाई की जाती है और हमसे दूर चले गए परिजनों की याद में यहां इस प्रकार का वातावरण तैयार किया जाता है जैसे कभी हमने उनकी मौजूदगी में अपने घर को रंगोली से सजाया था और दीपक उत्सव का पर्व मनाया था।
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दीपावली का पर्व मनाया जाता है यह विदिशा का अनूठा मुक्ति धाम है
आप जैसा की रोशनी से नहाया हुआ मुक्तिधाम देख पा रहे हैं निश्चित है कि परिजन हमारे यहां से विदा हुए हैं और आज उन्ही की याद में जो रूप चौदस का पर्व है जिसे हम छोटी दिपावली कहते है वैसे तो दूज तक भी हमारी दीपावली का पर्व मनाया जाता है यह विदिशा का अनूठा मुक्ति धाम है हिंदुस्तान की पहली पहल मुक्ति धाम में जिसे रोशनाई से जगमग करते हैं और साथ में एक दिया अपने परिजन की याद में लगाने की परंपरा पिछले 14 साल से अधिक मैं कर पा रहा हूं और साथी टीम के सदस्य एकजुटता के साथ लगे रहते हैं बहने बच्चियों और महिलाए मात्रशक्तिया आकर रंगोलिया बनती है रोशनी से जगमग है मुक्तिधाम और वही बम पटाखे फुलझड़ियां जो हमने उनकी गोदो में जो हमारे परिजन जो हमसे विदा हुए उनकी गोद में बैठकर पर्व मनाया तो बस मन मेरे यह ख्याल आया था कि क्यों ना हम एक वही माहौल पैदा करें आज परिजन हमसे दूर जरूर चले गए हैं उनको एक एहसास बना रहे कि आज हमारे बेटा जिंदा है उनके बच्चे उनकी बेटियां जिंदा है और वह जिस प्रकार से अपने घर में रंगोली सजाते थे इसी प्रकार से मुक्तिधाम परिसर को रंगोलिया से सजा दिया गया है निश्चित है कि हिंदुस्तान में अनोखी परंपरा है यह और मैं चाहता हूं कि सभी अपने परिजनों की याद में एक दीपक आज के दिन अवश्य रोशन करें