दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. मथुरा और वृंदावन में गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. कथानुसार भगवान श्रीकृष्ण से ब्र… मनाया जाता है. कथानुसार भगवान श्रीकृष्ण से ब्रजवासियों और जानवरों को, द्वापर युग में इन्द्र देव के प्रकोप से बचाव के लिए अपनी किन्नी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षी की थी. तभी से इस पर्वत को पूजनीय माना गया है
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गोवर्धन पूजा का महत्व(importance )
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा की शुरुआत की थी. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से बचाने के लिए गिरिराज की पूजा की थी. इस घटना ने ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी. इसलिए, गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का विशेष महत्व है।
56 भोग में शामिल हैं ये चीजें
भक्त (भात), सूप (दाल), प्रलेह (चटनी), सदिका (कढ़ी), दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), सिखरिणी (सिखरन), अवलेह (शरबत), बालका (बाटी), इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मठरी),फेणिका (फेनी), परिष्टश्च (पूरी), शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्राम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), सुधाकुंडलिका (जलेबी), धृतपूर (मेसू), वायुपूर (रसगुल्ला), चन्द्रकला (पगी हुई), दधि (महारायता), स्थूली (थूली), कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), खंड मंडल (खुरमा), गोधूम (दलिया), परिखा, सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), दधिरूप (बिलसारू), मोदक (लड्डू), शाक (साग), सौधान (अधानौ अचार), मंडका (मोठ), पायस (खीर), दधि (दही), गोघृत (गाय का घी), हैयंगपीनम (मक्खन), मंडूरी (मलाई), कूपिका (रबड़ी), पर्पट (पापड़), शक्तिका (सीरा), लसिका (लस्सी), सुवत, संघाय (मोहन), सुफला (सुपारी), सिता (इलायची), फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, अम्ल
अन्नकूट के लिए सामग्री:
2 चमचे सरसों का तेल
अदरक- 4 इंच लम्बा पिसा हुआ
हरी मिर्च- 4-6
हींग- 4-6 पिंच
2-3 तेज पत्ता
जीरा- दो छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर- दो छोटा चम्मच
धनियां पाउडर- 4 छोटा चम्मच
लाल मिर्च- 3/4 छोटा चम्मच
अमचूर पाउडर- एक छोटा चम्मच
नमक- 2/4 छोटी चम्मच (स्वादानुसार)
हरा धनिया- 200 ग.