दिल्ली। SPG Director : उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस आलोक शर्मा एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group) का नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। आईपीएस आलोक शर्मा 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिला के रहने वाले है। दरअसल आलोक शर्मा अलीगढ़ स्थित अनूप शहर क्षेत्र के रूपवास गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता का नाम वी. दयाल है आलोक ने बी-टेक (मैकनिकल) की पढ़ाई की थी। 16 नवंबर को केंद्र सरकार द्वारा जारी ऑर्डर के मुताबिक औपचारिक तौर पर उनके नाम की पुष्टि कर दी गई।
हालांकि पिछले कुछ दिनों से आलोक शर्मा के नाम की बेहद चर्चा चल रही थी क्योंकि वो एसपीजी यानी विशेष सुरक्षा समूह जैसे अर्ध सैनिक बल में पहले 19 फरवरी 2021 को आईजी पद पर नियुक्त हुए थे. बाद में उनका प्रमोशन अतिरिक्त महानिदेशक यानी एडीजी पद पर हो गया था.
पूर्व एसपीजी निदेशक अरुण कुमार सिन्हा के निधन के बाद रिक्त था पद
विशेष सुरक्षा समूह जिसे आम बोलचाल की भाषा में एसपीजी के नाम से हमलोग जानते हैं, ये देश की बहुत ही मजबूत और आधुनिक तरीकों से ट्रेंड कमांडो की टीम होती है. देश के प्रधानमंत्री सहित अन्य अति विशिष्ठ लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी को सौंपी गई है. आलोक शर्मा से पहले एसपीजी के निदेशक अरुण कुमार सिन्हा थे, जिनका देहांत 6 सितंबर को हो गया था. दरअसल वो पिछले काफी समय से कैंसर बीमारी से जूझ रहे थे. अरुण कुमार सिन्हा के देहांत के बाद से करीब दो महीने से एसपीजी चीफ का पद खाली था लेकिन एसपीजी में वरिष्ठ अधिकारी होने के चलते वो पूरे एसपीजी का कमांड कर रहे थे।
देश के अर्ध सैनिक बलों में बेहतरीन कमांडो को चुनकर किया जाता है SPG में नियुक्ति
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के कमांडो की नियुक्ति की अगर बात करें तो देश की अर्ध सैनिक बल सीआरपीएफ, एसएसबी, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, बीएसएफ इत्यादि बलों के सबसे बेहतरीन कमांडो जवानों में से एसपीजी कमांडो के जवानों का चयन किया जाता है. एसपीजी कमांडो की ट्रेनिंग बहुत ही कठिन और बेहद आधुनिक उपकरणों, हथियारों के साथ होती हैं. एसपीजी कमांडो की अगर बात करें तो ये अक्सर FNH – 2000 असॉल्ट रायफल, ऑटोमेटिक यानी स्वचालित बंदूकें और कुछ खतरनाक पिस्टल जैसे 17 M जैसे आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं.
कब हुई स्थापना
ये कमांडो अक्सर एक बेहद लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहने हुए होते हैं,जो एक आम साधारण सा ड्रेस देखने में होता है लेकिन इसमें AK 47 जैसे आधुनिक हथियारों के गोली को भी झेलने की क्षमता होती है. अपनी ड्यूटी के दौरान आपस में कोई इनपुट्स साझा करने के लिए या कोई कोर्ड वर्ड बोलने के लिए या आपने साथी कमांडो से बातचीत करने के लिए अपने कान में लगे ईयर प्लग का सहारा लेते हैं. इस फोर्स की स्थापना दो जून 1988 को की गई थी.
इसकी स्थापना की वजह तत्कालीन प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही सुरक्षाकर्मियों के द्वारा करना था. लिहाजा इस बात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार को एक एक ऐसे समर्पित बल की को बनाने की आवश्यकता महसूस की थी जो बल देश के वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्री और उसके परिवारों की सुरक्षा कर सके. इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर दो जून 1988 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का गठन किया गया था.