एलोपैथिक दवाओं को निशाना बनाकर भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पतंजलि को चेतावनी दी कि अगर यह गलत दावा किया गया कि उसके उत्पाद कुछ बीमारियों को “ठीक” कर सकते हैं तो उस पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
आपको बता दे अदालत ने कहा कि पतंजलि को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह प्रेस में आकस्मिक बयान देने से बचे।याचिका में आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन एलोपैथी को नीचा दिखाते हैं और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं। आईएमए ने आगे तर्क दिया कि पतंजलि के दावे असत्यापित हैं और ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन हैं। अदालत ने यह निर्देश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर विचार के दौरान दिया।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में बाबा रामदेव को दी थी चेतावनी
बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए योग गुरु बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि उन्हें अन्य व्यवस्थाओं की आलोचना नहीं करनी चाहिए।कोर्ट ने तब कहा था, “बाबा रामदेव को क्या हुआ? उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया, लेकिन उन्हें अन्य सिस्टम की आलोचना नहीं करनी चाहिए। क्या गारंटी है कि उनका सिस्टम काम करेगा?”