देश में पहली बार, सरकार ने अस्पतालों को इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के तहत इलाज के लिए मरीज की जरूरतों के आधार पर निर्णय लेने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
जारी गाइडलाइंस में स्पष्ट किया गया है कि गंभीर या असाध्य रूप से बीमार रोगियों का अस्पताल में यदि उपचार संभव या उपलब्ध नहीं है और चिकित्सा जारी रखने से भी रोगी के जीवित रहने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो ऐसे रोगियों को आईसीयू में नहीं रखा जाना चाहिए।पैनल ने कहा है, कुछ स्थितियां ऐसी हैं जिसमें रोगी को आईसीयू में रखा जाना बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसे मामलों में जहां सर्जरी के बाद हालत खराब हो जाती है या जिन रोगियों को बड़ी सर्जरी के बाद जटिलताओं का खतरा हो सकता है उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जाना आवश्यक है।
चिकित्सा स्थिति में गिरावट की आशंका पर आधारित होना चाहिए
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी मरीज को आईसीयू में भर्ती करने का मानदंड आर्गन फेलियर या चिकित्सा स्थिति में गिरावट की आशंका पर आधारित होना चाहिए। मरीज की चेतना का बदला हुआ स्तर, हेमोडायनामिक अस्थिरता, श्वसन सहायता जैसे ऑक्सीजन की आवश्यकता या बीमारी के बिगड़ने की आशंका में आईसीयू में प्रवेश जरूरी हो जाता है।पैनल ने स्पष्ट किया है कि ये दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं, केवल मार्गदर्शन के लिए हैं। आईसीयू में प्रवेश और डिस्चार्ज के मानदंड व्यापक प्रकृति के हैं और काफी हद तक इलाज करने वाले डॉक्टर इसका निर्णय ले सकते हैं। ये उनके विवेक पर ही छोड़ा जाना चाहिए।
प्राथमिकता वाले रोगियों को आईसीयू उपलब्ध कराने पर जोर
पैनल का कहना है, जिन लोगों को आईसीयू की सबसे ज्यादा जरूरत है उन्हें यह प्राथमिकता पर मिले, ये सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। भारत में आईसीयू बेड्स सीमित हैं इसलिए इनके उपयोग को लेकर नियम स्पष्ट होने जरूरी हैं। गौरतलब है कि भारत में आईसीयू बेड अधिकांश निजी अस्पतालों और बड़े शहरों में स्थित हैं। गरीब लोग जो निजी अस्पतालों का खर्च वहन नहीं कर सकते, उन्हें आईसीयू बेड पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।इसके अलावा आईसीयू बेड की प्रतीक्षा कर रहे रोगी की रक्तचाप, पल्स रेट, श्वसन दरऔर पैटर्न, हृदय गति, ऑक्सीजन की स्थिति और न्यूरोलॉजिकल स्थिति पर डॉक्टरों को गंभीरता से निगरानी करनी चाहिए।
शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल ने तैयार किए दिशा-निर्देश
गौरतलब है कि विशेष निगरानी की आवश्यकता वाले किसी भी रोगी के लिए गंभीर बीमारी के मामलों में आईसीयू देखभाल की भी सिफारिश की जाती है। पैनल में शामिल विशेषज्ञों में से एक ने कहा कि आईसीयू एक सीमित संसाधन है, हर किसी को इसमें भर्ती करने से, जरूरत पड़ने पर अति आवश्यक मामलों में रोगियों को बेड नहीं मिल पाते हैं, इसलिए ये दिशा निर्देश जरूरी हैं। इससे मरीज के परिजनों और अस्पताल प्रशासन के बीच पारदर्शिता भी बढ़ेगी।