छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार बनते ही पिछली सरकार की फाइलें खुलना शुरू हो गई है. बताया जा रहा हैं कि पिछले दिनों दंतेवाड़ा के माँ दंतेश्वरी कॉरिडोर में करोड़ो रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई थी जिसके बाद कलेक्टर पर यह कार्रवाई की गाज गिरी हैं। मामले के सामने आने के बाद उनपर कार्रवाई की तलवार लटक रही थी। वनमंत्री केदार कश्यप ने पूरे मामले की जाँच के बाद दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही थी।
दंतेवाड़ा जिले में भी लगभग 70 करोड़ रुपए की लागत से बन रही दंतेश्वरी कॉरिडोर भी निर्माण पूर्ण होने से पहले विवादों में घिरी हुई है। दरअसल इस निर्माण कार्य में 20 करोड़ के काम को 46 भागों में बांटकर एक ही ठेकेदार को काम देकर लाभ पहुंचाने का आरोप लगा है. साथ ही सारे नियमों को ताक में रखकर जिला खनिज न्यास के फंड का दुरुपयोग करने की शिकायत भी की गई है. दंतेश्वरी कॉरिडोर के निर्माण में शुरुआती तौर पर डंकनी नदी के हिस्से में 150 मीटर की रिटेनिंग वॉल 20 करोड़ रूपये की लागत से बनाई जा रही है. इस काम को 46 टुकड़ों में बांटकर मैनुअल टेंडर किया गया है, जो कि नियम के खिलाफ है।
दंतेश्वरी कॉरिडोर विवादों में घिरा
बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि 50 लाख से अधिक की राशि होने पर फाइल को उच्च अधिकारियों के पास भेजना पड़ता है. ऐसे में 50 लाख से कम की तकनीकी स्वीकृति खुद एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दे सकता है. आरईएस के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने भी ठीक ऐसा ही किया और इस 20 करोड़ के काम को 50- 50 लाख रुपये में बांट दिया और इस निर्माण कार्य की फाइल अपने उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचाई. शिकायत मिलने के बाद अब इस पूरे मामले की जांच की जा रही है और खुद अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने आरईएस के ईएनसी को जांच टीम का प्रभारी बनाया है और 5 दिन के अंदर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए है.