रायपुर। CG NEWS : अगले माह अपना पहला बजट पेश करने जा रही भाजपा सरकार इस वर्ष के लिए अंतिम कर्ज लेने जा रही है। अपनी प्रतिभूतियों को नीलाम कर साय सरकार करीब दो हजार करोड़ रूपए जुटाना चाहती है । इसके लिए वित्त विभाग ने आरबीआई को डिमांड नोट भेज दिया है। इसके मुताबिक सरकार एक-एक हजार करोड़ की दो किश्तें, 8 और 9 वर्ष में वापसी योग्य शर्त पर लेने जा रही है। वैसे छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त देश के 8 अन्य राज्यों ने कुल 19200 करोड़ का कर्ज मांगा है। आरबीआई कल मंगलवार को ईकुबेर के जरिए लोन टेंडर खोलेगी।
हमने (छत्तीसगढ़) चुनाव पहले ही नवंबर अंत में प्रमुखता से बताया था कि चुनाव बाद जो भी सरकार बनेगी, उसे कर्ज के भारी बोझ से दबा हुआ खजाना मिलेगा। छत्तीसगढ़ पर इस समय 88 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज चढ़ा हुआ है। और यह बोझ कम होने के आसार बहुत कम दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि भाजपा ने चुनाव घोषणापत्र जारी किए हैं, उनमें खर्च बढ़ाने वाली घोषणाएं ही हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा मेंं बता चुके हैं कि जनवरी 2023 तक राज्य सरकार पर 82.125 हजार करोड़ रुपए का ऋण था। कांग्रेस नेता भूपेश बघेल 17 दिसंबर, 2018 में मुख्यमंत्री बने थे। उनके पहले भाजपा के रमन सिंह सीएम थे। जब उन्होंने कुर्सी छोड़ी थी तो राज्य की सरकार पर 41 हजार 695 करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ गए थे था। यानी, बघेल के पांच साल में कर्ज का बोझ दोगुना हो गया।
छत्तीसगढ़ राज्य साल 2000 में बना था। तब से जनवरी 2023 तक सरकार ने कुल 1.05 लाख करोड़ (आरबीआई, नाबार्ड, वल्र्ड बैंक आदि से) कर्ज लिया। इसमें से केवल 28,096 करोड़ ही (जनवरी 2023 तक) चुकाया जा सका है।
हालत ऐसी है कि बतौर मुख्यमंत्री जनवरी 2019 से जनवरी 2023 तक हर महीने औसत 460 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान किया गया। यानी, चार साल में कुल 22080 करोड़ रुपए।