आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष में जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
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सालभर में कुल 12 संक्रांति होती है। जब सूर्यदेव गुरु की राशि धनु से निकलकर अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य शनिदेव की पिता हैं, लेकिन शनिदेव अपने पिता सूर्य देव से शत्रुता का भाव रखते हैं। जब मकर संक्रांति पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने और एक महीने तक उनके घर में निवास करते हैं तो पिता-पुत्र के बीच मतभेद दूर हो जाते हैं। इस कारण से मकर संक्राति मनाई जाती है।
मकर संक्रांति पर क्या करना शुभ
- मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करना चाहिए।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव को जल जरूर अर्पित करें।
- मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बनी चीजों को दान और इसका सेवन करें।
- इस दिन खिचड़ी जरूर खानी चाहिए।
- मकर संक्रांति पर भगवान सूर्यदेव के साथ वेद-पुराण का पाठ करना शुभ।
- गायों को चारा खिलाएं।
मकर संक्रांति के साथ आज उत्तरायण पर्व भी
आज यानी 15 जनवरी को पूरे देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं जोकि शनिदेव की राशि है। सूर्य के मकर राशि में आने से दक्षिणायन खत्म होता है और उत्तरायण आरंभ हो जाता है, इसलिए इसे उत्तराणय पर्व भी कहते हैं। सूर्य 6 महीने दक्षिणायन और 6 महीने उत्तरायण रहते हैं। शास्त्रों में सूर्य के उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना जाता है। उत्तरायण से रातें छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने पर सभी तरह के मांगलिक काम फिर से शुरू हो जाते हैं।