Ram Mandir Ayodhya : 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है। ऐसे में देवता की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती, क्योंकि यह सनातन परंपरा के अनुसार असंगत होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें 22 जनवरी को आयोजित होने वाले अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (प्रतिष्ठा समारोह) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
याचिका उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी भोला दास ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह में कोई भी धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है, पूरी तरह से मंदिर नहीं बना है, ऐसे में वहां भगवान की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। प्राण प्रतिष्ठा का होना सनातन परंपरा के साथ असंगत होगा।
याचिका में कहा गया, “22 जनवरी 2024 को अयोध्या में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। निर्माणाधीन मंदिर में राम लला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। यह समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जाएगा।” इसी के साथ उन्होंने शंकराचार्यों को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर आपत्ति के बारे में भी बताया है। भोला दास ने कहा कि मंदिर अभी भी अधूरा है, किसी भी देवता की प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती।
आपको बता दें कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे। चारों शंकराचार्यों ने कार्यक्रम में शामिल ना होने का फैसला किया है। इसी के साथ याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी लोकसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही है।