रायगढ़ : CG NEWS : सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी और सदस्यों ने आज शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर को राष्ट्रपति, राज्यपाल, और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान उन्होंने मांग की है कि हसदेव जंगल बचाने के लिए समाज के लोग एकजुट हैं और पीड़ित लोगों के साथ खड़े हैं। 20 दिवस के भीतर यदि उनकी मांग पूर्ण नहीं होती है तब वह सरगुजा संभाग सहित प्रदेश बंद के लिए बाध्य होंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य की पाँचवी अनुसूची जिला सरगुजा में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को कोयला आपूर्ति के लिए परसा ईस्ट केते बासेन और परसा में कोयला खनन किया जा रहा है। नियमों एवं अधिकारों का उल्लंघन करते हुए अवैधानिक तरीके से खनन कार्य किया जा रहा है। ग्राम सभा सहमति बिना बहुमूल्य वनों की कटाई ग्राम केते के पुर्नव्यवस्थापन में अनियमितता एवं ग्रामसभा के असहमति के बाद भी ग्राम सीमा पारम्परिक सीमा में ग्रामीणों आदिवासियों के पारम्परिक देव व्यवस्था एवं उनकी आस्था मान्यताओं को जानबूझकर नष्ट किया जा रहा है।
इन सभी कार्यों में जिला कलेक्टर, एसडीएम एवं पुलिस अधिकारियों ने अपने प्रशासनिक पद का दुरूपयोग कर दुर्भावना एवं प्रलोभन से अवैधानिक कार्य किया एवं सहमति दिये हैं। ग्राम केते, ब्लॉक उदयपुर, जिला सरगुजा के विस्थापन में अनियमितता बरती गई है। केते ग्राम की मांग एवं मूलभूत सुविधा की पूर्ति अभी तक नहीं हुआ है। व्यवस्थापन उपरांत जिस गाँव बासेन को बसाया गया है उस गाँव में ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गई है। जिसके कारण जीवन यापन एवं रहन-सहन में तकलीफ उठाना पड़ रहा है। अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं मिल पाता है। कुछ लोगों को मुआवजा का अप्रत्याशित रूप से पैसा मिलने के कारण उनका जीवन शैली बिगड़ गया और दुर्घटना के शिकार हो गये। 45-50 परिवार बासेन से पलायन हो गये हैं। विस्थापित गाँव केते के कुल संख्या का 20 प्रतिशत परिवार को ही ठेका मजदूर के रूप में रखा गया है। गाँव के अन्य लोग जीविकोपार्जन के लिए भटक रहे हैं। असुविधा, प्रताड़ना एवं ग्राम के पारम्परिक आस्था के विपरित परिस्थिति के कारण असामयिक मौत हो जा रहा है। जन्म दर भी घट गया है, मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है। यह पूर्णतः भूमिअर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार एवं पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 का पूर्ण उल्लंघन है।
ग्रामसभा के विपरीत तत्कालिक शासकीय कर्मचारी अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए प्रलोभन एवं दुर्भावनावश अवैधानिक कार्यों की सहमति जारी कर पाँचवी अनुसूची क्षेत्र के आदिवासियों को प्रताडित किए। ग्राम साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा, तारा चारपारा में प्रभावित मानव समुदाय, अमूल्य पेड़ साल एवं जंगल में निवासरत वन्य प्राणी का जीवन प्रभावित होकर लुप्त होने के कगार पर है। जिसे देखते हुए तत्कालिक पदस्थ शासकीय कर्मचारियों की जाँच एवं दंडात्मक कार्यवाही किया जाए। वनों के संरक्षण और आदिवासियों के हित को देखते हुए गलत तरीके से उत्खनन के लिए प्रेरित करने वाले राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कोयला आपूर्ति आबंटन को रद्द किया जाए। बस्तर सहित पूरे प्रदेश में खनिज खनन कार्य की अनियमितता की जांच की जाए अन्यथा आदिवासी समाज उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा और 20 दिवस के अंदर मांग पूर्ण नहीं होने पर सरगुजा संभाग सहित प्रदेश बंद के लिए बाध्य होगा।