बजट सत्र के आखिरी दिन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 17वीं लोकसभा में कई बड़े फैसले हुए। यह पांच साल देश में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के थे। पीएम मोदी ने सदन के सभी सदस्यों का अभिवादन किया।
उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में 5 वर्ष देश सेवा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए गए और अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए भी सबने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास किया। विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि राम मंदिर को लेकर इस सदन ने जो प्रस्ताव पारित किया है, वह देश की भावी पीढ़ी को इस देश के मूल्य पर गर्व करने की संवैधानिक शक्ति दे रहा है। यह सही है, हर किसी में ये सामर्थ्य नहीं होता है, कोई हिम्मत दिखाते हैं, कोई मैदान छोड़ देता है। इस दौरान पीएम मोदी ने सभी सांसदों का आभार व्यक्त किया।
पेपरलेस संसद के लिए जताया आभार
लोकसभा के सभापति का आभार व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं ‘पेपरलेस संसद’ के संचालन के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की शुरुआत करने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने बताया कि 17वीं लोकसभा के दौरान संसद की उत्पादकता 97 प्रतिशत रही है। उन्होंने सभापति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संसद की लाइब्रेरी के दरवाजे आपने सामान्य व्यक्ति के लिए खोल दिए
जम्मू-कश्मीर के लोगों को न्याय से रखा गया वंचित
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के पूर्ण रूप के इसके पूर्ण प्रकाश के साथ, इसका प्रकटीकरण हुआ और मैं मानता हूं कि जिन-जिन महापुरुषों ने इस संविधान का निर्माण किया है, उनकी आत्मा जहां भी होगी, हमें आशीर्वाद जरूर दे रही होगी।
नया संसद हमारी विरासत और स्वतंत्रता की भावना का समाहित
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा यह नया संसद भवन हमारी विरासत और स्वतंत्रता की भावना को समाहित करता है, जिसे हमने पहली बार 1947 में अनुभव किया था। यहां स्थापित किया गया पवित्र सेंगोल हमारी आने वाली पीढ़ियों को उन आदर्शों की याद दिलाएगा,
हमने पीढ़ियों से लटके कई सपनों को पूरा किया
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम 100 प्रतिशत से अधिक उत्पादकता हासिल करने के संकल्प के साथ 18वीं लोकसभा में प्रवेश करेंगे। 21वीं सदी के भारत की मजबूत नींव इस कार्यकाल में रखी गई है। एक बदलाव की तरफ तेज गति से देश आगे बढ़ा है। इसमें संसद के सदस्यों ने अपनी भागीदारी की है। इस 17वीं लोकसभा के माध्यम से बहुत सारे ऐसे काम हुए हैं, जिसका लोग इंतजार करते थे। पीढ़ियों का इंतजार खत्म हुआ है।