बीजापुर : CG BREAKING : छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा (Deputy Chief Minister Vijay Sharma) और केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में खुला बयान जारी कर यह कहा कि वे माओवादियों के साथ चाहे सीधी या मोबाइल पर (वर्चुअल) बातचीत के लिए तैयार हैं. कई पत्रकारों, बुद्धिजीवियों ने इस पर हमारी प्रतिक्रिया मांगी. हमारी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी राज्य एवं देश के पत्रकार बंधुओं, जनवादी, प्रगतिशील बुद्धिजीवियों, नागरिक समाज, आदिवासी, गैर-आदिवासी सामाजिक संगठनों, नागरिक व मानवाधिकार संगठनों को यह स्पष्ट करना चाहती है कि माओवादियों से बातचीत का प्रस्ताव चाहे उप मुख्यमंत्री द्वारा हो या इसके पहले के मुख्यमंत्रियों द्वारा या फिर देश के गृहमंत्री द्वारा किया गया हो, बेईमानी भरा और जनता को धोखा देने वाला ही रहा.
इस संदर्भ में हमारी पार्टी केंद्र और छत्तीसगढ़ राज्य सरकारों द्वारा 1 जनवरी से जारी ऑपरेशन कगार जोकि अमानवीय दमनकारी सूरजकुंड योजना का हिस्सा है, के घेराव – दमन हमलों की ओर आप सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहती है. यह आप सभी जानते हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री लगातार यह बयान जारी कर रहे हैं कि जल्द से जल्द माओवादियों का सफाया किया जाएगा. ऑपरेशन कगार के तहत बीएसएफ और आईटीबीपी के 6 हजार बलों को बस्तर संभाग के ‘अबूझमाड़ (नारायणपुर जिला) में उतारा गया. इन जवानों के साथ 40 और नए कैंप स्थापित करने वाले हैं.
भाजपा के छत्तीसगढ़ राज्य में सत्तारूढ़ होने के डेढ़ माह के भीतर खासकर 1 जनवरी से लेकर 4 फरवरी के बीच ही मुठभेड़ों, क्रॉस फायरिंग के नाम पर पुलिस बलों द्वारा की गयी झूठी मुठभेड़ों में बस्तर संभाग के दंतेवाडा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर जिलों के 10 आदिवासियों जिनमें 6 माह की दुधमुंही बच्ची के अलावा दो महिलाएं एवं प्राचीनतम जनजातियों में से एक माडिया आदिवासी समुदाय के दो ग्रामीण शामिल हैं, की जघन्य हत्या की गयी. एक आदिवासी महिला और एक आदिवासी किसान को गोली मारकर घायल किया गया. यह प्राकृतिक संपदाओं व संसाधनों की कॉरपोरेट लूट के लिए बस्तर संभाग के आदिवासियों के कत्लेआम के सिवाय और कुछ नहीं है.
उपरोक्त झूठी मुठभेड़ हत्याओं के अलावा पिछले चार सालों से भी अधिक समय से बस्तर संभाग में जारी जन आंदोलनों पर भीषण दमन जारी है. जन आंदोलनों के दसियों नेताओं व कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेलों में बंद किया जा रहा है. धरना शिविरों को ध्वस्त किया जा रहा है, आंदोलनों में शामिल जनता को बेरहमी से पीटा जा रहा है. एक तरफ इस तरह का फासीवादी दमनकांड और दूसरी तरफ वार्ता का प्रस्ताव. यह सरकार का दोगलापन ही नहीं, जनता को दिग्भ्रमित करने की नाकाम कोशिश के अलावा और कुछ नहीं.
हमारी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी हमेशा यह कहती आ रही है और इस संदर्भ में एक बार और यह खुली घोषणा करती है कि देश की उत्पीड़ित वर्गों व विशेष सामाजिक तबकों की जनता के व्यापक हितों के मद्देनजर एवं अमन चैन स्थापित करने की दिशा में हमारी पार्टी वार्ता के लिए हमेशा तैयार है. हम इस संदर्भ में यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वार्ता हेतु पार्टी के भीतर एवं जनता के साथ जरूरी सलाह-मशविरा, आदान-प्रदान के लिए सरकारें अनुकूल माहौल निर्मित करें जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाए कि मुठभेड़ों व क्रॉस फायरिंग के नाम पर झूठी मुठभेड़ों में आदिवासियों की जघन्य हत्याएं बंद हों, तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों (थानों व कैंपों तक सीमित किया जाए, नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए, राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए. हमारी पार्टी के साथ वार्ता के प्रति यदि सरकार ईमानदार है तो वह इन न्यूनतम बातों पर तो पहले अमल करे. फिर हम सीधी वार्ता या वर्चुअल / मोबाइल वार्ता के लिए आगे आएंगे. बातचीत का विधि-विधान एजेंडा और मुद्दे अलग से तय किए जा सकते हैं.
इसलिए हमारी पार्टी जनपक्षधर पत्रकारों, नागरिक समाज, प्रगतिशील-जनवादी बुद्धिजीवियों, नागरिक/मानवाधिकार संगठनों से अपील करती है कि वे जनता पर जारी सरकारी दमनचक्र के खिलाफ आवाज बुलंद करें, ऑपरेशन कगार को बंद करने, वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में जरूरी कदम उठाने सरकारों पर दबाव डालें.