गरियाबंद जिले के गई क्षेत्र तितलियों के लिए काफी अनूकूल माना जाता है भारी तादात मंे यहा तितलिया देखने को मिलती है, जिसमंे मैनपुर के देवदाहरा जलप्रपात, बोतलधारा पहाडी, ओंढ आमामोरा सिकासार के साथ देवभोग से 25 किलोमीटर दूरी पर मौजूद ऋषिझरन को अब तक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का माना जाता रहा है. लेकिन पिछले 3 साल से हो रहे एक अध्ययन में ये इलाका तितलियों का ऐसा ठिकाना साबित हुआ है, जहां प्रदेश में दर्ज कुल 174 प्रजाति में से 57 प्रजाति झरना के 5 किमी की परिधी में पाया जाता है.जैव विविधता के शोध को प्रकाशित करने वाली रीसर्च जर्नल जूस प्रिंट ने एक शोध की रिपोर्ट का प्रकाशन किया है. जिसमें ऋषिझरन में किए शोध में पाए गए तितली की 3 नई प्रजाति डबल बेंडेड जुड़ी, व्हाइट टिप्ड लाइन ब्लू और स्माल फ्लैस का जिक्र किया गया है. विभिन्न संस्थानों के प्रोफेसर और स्थानीय युवा छात्र का एक दल 2018 से लगातार इस विषय पर शोध कर रहा है।इस अध्ययन दल में हित नारायण टंडन (विभागाध्यक्ष, प्राणीशास्त्र), संत गुरु घासीदास शासकीय महाविद्यालय कुरुद के वनस्पति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक गुलाब चंद, शासकीय कन्या महाविद्यालय जगदलपुर से क्रो फाउंडेश के सदस्य रवि नायडू, रामानन्द अग्रवाल (रीसर्चर एमएससी, प्राणी शास्त्र, पंडित श्याम शंकर मिश्र शासकीय महाविद्यालय देवभोग), डॉ. जयंत बिश्वास (गुफा वैज्ञानिक नेशनल केव रीसर्च एंड प्रोटेक्शन ओर्गनाइजेसन) शामिल हैं.
57 में से 6 सरंक्षित प्रजाति
शोध दल में शामिल प्रोफेसर हित नारायण टंडन ने बताया कि ऋषिझरन वाटर फाल इलाके में पाए जाने वाले अनुकूल माहौल तितलियों के रहवास के लिए उपयुक्त है. ऐसा पहली बार हुआ है की 5 किलोमीटर के सीमित इलाके में एक साथ 57 प्रजाति मिले हों. ऋषिझरन से रिकॉर्ड किए गए इन 57 प्रजतियों में व्हाइट टिप्ड लाइन ब्लू सहित 6 प्रजाति की तिल्लियां वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की अनुसूचियों में संरक्षित श्रेणी में रखे गए हैं. अनुसूची 1 में कॉमन पिरो- (कैसटेलिस रोसिमोन), व्हाइट टिप्ड लाइन ब्लू (प्रोसोटस नोरीया), अनुसूची 2 में कॉमन लाइन ब्लू- (प्रोसोटस नोरा), पोईंटेड सिलीएट ब्लू (एंथेनि लायकेनिया), इंडिगो फ्लैस- (रापाला वरुणा), अनुसूची 4 में कम्प्लीट पैंट ब्रश स्विफ्ट (बाओरिस फर्री) के नाम शामिल हैं.
जगदलपुर की तर्ज पर बटरफ्लाई पार्क बनाने की जरूरत
अध्ययन दल में शामिल जगदलपुर क्रो फाउंडेशन के सदस्य रवि नायडू ने बताया कि ऋषिझरन वॉटरफाल के जैव विविधता का अध्ययन करने के दौरान हमने पाया कि यह पूर्वीय तटीय इलाका है. साल के लम्बे और छायादार घने वृक्ष होने के कारण, एक स्थान पर इतनी प्रजाति की तितलियां एक जगह मिल रही है जो की बड़ी उपलब्धि है. अनुसूची में शामिल जीवों के आवास, और पर्यावरण को हानि पहुंचाने, या इनके शिकार, अवैध व्यापार, पालतू बनाए जाने आदि पर गैर जमानती अपराध की धाराएं लगती है.
इन जीवों के संरक्षण के लिए राज्य की अलग-अलग संस्थाएं कार्य कर रही हैं. जिनमें से क्रो फाउंडेशन जगदलपुर, छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा और बायोडायवर्सिटी कन्सर्वेशन सोसायटी है. जगदलपुर में चलाए जा रहे अभियान की तरह सरकार यहां भी सरंक्षण के लिए अभियान चलाए.