गरियाबंद । वन मंत्री केदार कश्यप जी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर अग्रवाल एवं क्षेत्र निदेशक एम. मर्सिबेल्ला के मार्गदर्शन में उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के इको सेंटर कोयबा में आज चरवाहा सम्मलेन का आयोजन किया गया । चुनौतिया उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व की सीमा ओडिशा राज्य से 125 किलोमीटर लगी हुयी है जो की तस्करी कॉरिडोर के रूप में कुख्यात है और साथ में अतिक्रमण, अवैध शिकार और अवैध कटाई के प्रकरण भी प्रकाश में आते रहते है। किन्तु ऐसा भी अंदेशा है कि कई वन्यप्राणी अपराध प्रकरण प्रकाश में नही आ पाते क्युकी फील्ड स्टाफ की 40% रिक्तता है जिससे स्टाफ बीट के सभी हिस्सों में फुट पेट्रोलिंग नही कर पाते ।
कैसे काम आयेंगे चरवाहे ? ऐसी स्तिथि में चरवाहे (जो कि जंगल के लगभग सभी हिस्से में विचरण करते है ) वन विभाग की आँख और कान बन सकते है जिससे अवैध शिकार के लिए लगाए गये फंदे (snares, traps), शिकारियों के हाईड आउट (छुपकर तीर, गुलेल मारने वाले स्थान), अवैध कटाई एवं तालाब में डाले गये जहर की जानकारी तत्काल वन विभाग को मिल सके । चरवाहों द्वारा न केवल टाइगर रिज़र्व बल्कि सीमावर्ती सामान्य वनमंडलों के वन क्षेत्रो में भी विचरण किया जाता है । इससे गोपनीय सूचना तंत्र और मजबूत बनेगा एवं कम स्टाफ होने पर भी वन अपराध पर प्रभावी कार्यवाही की जा सकेगी। गोपनीय सूचना देने वाले चरवाहों को इनाम भी दिया जायेगा । सम्मलेन के दौरान लगभग 50 चरवाहों एवं वन प्रबंधन समिति सदस्यों को गमछा भेंट किया गया । इसके साथ ही वन्यप्राणी अवशेष / अवयव से सम्बंधित प्रचलित अन्धविश्वास जैसे बाघ / तेंदुआ खाल से धन-वर्षा, साल खपरी से बीमारी का इलाज, आदि पर चर्चा की गयी और जागरूकता फैलाने सम्बन्धी चर्चा हुई । इसी के साथ उदंती एवं इन्द्रावती को जोड़ने वाले टाइगर कॉरिडोर को भी अतिक्रमण एवं अवैध शिकार से मुक्त करने सम्बन्धी बात श्री अर्जुन नायक (सरपंच – नागेश ) द्वारा उठाई गयी ताकि महाराष्ट्र के अत्यधिक बाघ उदंती तक सुरक्षित पहुच सके ।
वन अधिकार क्षेत्रो में चराई को नियंत्रित करने हेतु चर्चा की गयी
टाइगर रिज़र्व में अब तक 26 ग्राम सभाओ को 40000 हेक्टेयर में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार वितरित किये जा चुके है जिससे वन वासियों में वन विभाग के प्रति भरोसा मजबूत हुआ है एवं कई वन्य एवं वन्यप्राणी अपराध की गोपनीय सूचनाये एवं एन्टी पोचिंग कारवाई में समर्थन मिला है । इन सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्रो में चराई को नियंत्रित करने हेतु चर्चा की गयी जिससे वन्यप्राणी और मवेशी के लिए पर्याप्त चारा सतत रूप से उपलब्ध रहे और द्वन्द की स्तिथि निर्मित न हो सके । अधिकाँश आदिवासी समुदाय किसी न किसी वृक्ष या वन्यप्राणी को पूजते है जिसका गाँव- गाँव में वाल पेंटिंग (wall painting) के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाएगा और वन्यप्राणी संरक्षण का सन्देश दिया जायेगा । इसी के साथ वन्यप्राणी आधारित इको-पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई । हाथी अलर्ट app के लॉन्च होने के 1 साल पूरे होने पर और इस 1 साल में हाथी/भालू/तेंदुआ/लकडबग्घा से कोई भी जनहानि ना होने की जानकारी ग्राम-वासियों से साझा की गयी जो कि वन विभाग के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है । उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व द्वारा जंगलो की सॅटॅलाइट बेस्ड मोनिटरिंग एवं ड्रोन सर्विलांस भी किया जा रहा है ताकि वन सम्पदा आगामी वर्षो में भी बची रहे । सम्मलेन में अर्जुन नायक (सरपंच नागेश), रूपसिंह मरकाम (पूर्व सरपंच कर्लाझर) , मध्य प्रदेश से आये रिसर्च स्कॉलर, वन प्रबंधन समिति सदस्यों के साथ उपनिदेशक वरुण जैन, सहायक संचालक उदंती गोपाल कश्यप, परिक्षेत्र अधिकारी दक्षिण उदंती डोमार साहू, परिक्षेत्र अधिकारी उत्तर उदंती देव नारायण सोनी, परिक्षेत्र अधिकारी इन्दागांव श्री सुशिल सागर, बीट गार्ड अनूप जांगडे, सूर्यदेव जगत्वंशी, फलेष दीवान, वीरेंदर ध्रुव एवं अन्य स्टाफ उपस्थित थे ।