मौसम संबंधी उपग्रह इनसेट-3डीएस (INSAT-3DS ) के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से मौसम संबंधी उपग्रह INSAT-3DS लॉन्च करेगा।
- इनसेट-3डीएस भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह का मिशन है।
- इसे मौसम का अवलोकन करने, भविष्यवाणी व आपदा चेतावनी के लिए भूमि व महासागर सतहों की निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अपने इस 16वें मिशन में GSLV का मकसद INSAT-3DS के मौसम संबंधी उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट ऑर्बिट (GTO) में तैनात करना है।
- इसके बाद कक्षा की निगरानी करने वाला यान यह सुनिश्चित करेगा कि उपग्रह को भू-स्टेशनरी कक्षा में स्थापित किया जाए।
- यह मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए भूमि और समुद्र सतह की बेहतर मौसम निरीक्षण और निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।
इस उपग्रह से वर्तमान में संचालित इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उप
मौसम विभाग को होगा लाभ
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), नेशनल सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज और अन्य एजेंसियां व संस्थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डी के सैटेलाइट डेटा का उपयोग करेंगे।
ग्रहों के साथ मौसम संबंधी सेवाओं में वृद्धि होगी।
क्या है INSAT-3DS की खासियत?
जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) एक तीन चरण वाला 51.7 मीटर लंबा प्रक्षेपण यान है, जिसका वजन 420 टन है। पहले चरण (जीएस1) में एक ठोस प्रोपेलेंट (एस139) मोटर शामिल है, जिसमें 139-टन प्रोपेलेंट और चार पृथ्वी-स्थिर प्रोपेलेंट चरण (एल40) स्ट्रैपॉन हैं। इनमें से प्रत्येक में 40 टन तरल प्रोपेलेंट होता है। दूसरा चरण (जीएस2) भी 40-टन प्रोपेलेंट से भरा हुआ है, जो एक पृथ्वी-भंडारणीय प्रणोदक चरण है। तीसरा चरण (GS3) एक क्रायोजेनिक चरण है, जिसमें तरल ऑक्सीजन (LOX) और तरल हाइड्रोजन (LH2) की 15 टन प्रोपेलेंट लोडिंग होती है।