राजनांदगांव। CG NEWS : जिले के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर्वत पर जैन मुनि संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर महाराज ने अपना देह त्यागकर ब्रह्मलीन हो गए। पिछले कुछ समय से वे अस्वस्थ चल रहे थे। वही संत परंपरा का पालन करते हुए उन्होंने अपना देह त्याग दिया। उनके देवाहसन की खबर सुनकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु डोंगरगढ़ में एकत्रित हुए।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर संत शिरोमणि विद्यासागर महाराज ने शनिवार के मध्य रात्रि लगभग 2:30 बजे अंतिम असली उनके ब्रह्मलीन होने की सूचना मिलने पर रविवार सुबह से ही बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ पहुंचने लगे। रविवार दोपहर संत परंपरा अनुरूप उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान विद्यासागर जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की आंखें छलक उठी। राजनांदगांव सकल जैन समाज के अध्यक्ष मनोज बैद ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज लगभग 78 वर्ष आयु के थे। कुछ समय से वे अस्वस्थ थे लेकिन संत परंपरा का निर्वाहन करते हुए उन्होंने कोई भी दवाइयां नहीं ली और अपना देह त्याग दिया। उन्होंने कहा कि मुनि श्री द्वारा दी गई बहुमूल्य शिक्षा हमेशा समाज को सद मार्ग दिखाती रहेगी। जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज इस धरती पर लोगों के बीच हमेशा ही स्मरणीय और पूजनीय रहेंगे।
राजनांदगांव के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी पर्वत पर काफी लंबे समय से विद्यासागर जी महाराज यहां प्रवास पर थे। लगभग तीन महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर जाकर विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद लिया था। जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के शरीर त्यागने की जानकारी मिलने पर श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई। छत्तीसगढ़ प्रदेश के कई आला नेताओं सहित मध्य प्रदेश और अन्य प्रदेशों से भी सरकारों के प्रतिनिधि विद्यासागर जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। विद्यासागर जी महाराज के देवलोक गमन पश्चात् उन्हें पंचतत्व में विलीन करने से पहले उनकी पालकी निकाली गई। जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।